प्रयागराज में प्रवीण सांस्कृतिक मंच द्वारा आयोजित प्रवीण स्मृति नाट्योत्सव 2025 के तहत नाटक ‘नागरदोला’ का सफल मंचन किया गया। उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र सभागार में शाम 6 बजे शुरू हुई इस प्रस्तुति ने दर्शकों को प्रेम, संघर्ष और सामाजिक विसंगतियों पर विचार करने के लिए प्रेरित किया। नाटक का निर्देशन बिजेंद्र कुमार टांक ने किया। उन्होंने कथ्य और मंचीय शिल्प के जरिए प्रेम की उस अमर शक्ति को दर्शाया, जिसे समय या समाज की कठोर व्यवस्था मिटा नहीं सकती। मंच से गूंजे आरंभिक शब्द “प्रेम न बाड़ी उपजे, प्रेम न हाट बिकाय…” ने दर्शकों को भावनात्मक रूप से नाटक से जोड़ा। कहानी दुर्गापुर के दंगल से शुरू होती है, जहां पहलवान चूहड़ की जीत का जश्न मनाया जा रहा है। चूहड़ को उस प्रेम के प्रतीक के रूप में दिखाया गया है जो अत्याचार और बंधनों के बावजूद जीवित रहता है। नाटक जाति, हिंसा और समय द्वारा प्रेम को समाप्त करने के सवाल पर केंद्रित है, जिसका उत्तर ‘नहीं’ के रूप रूप में सामने आता है। रेशमा और चूहड़ की प्रेम कथा को पुनर्जन्म के माध्यम से प्रस्तुत करते हुए, नाटक ने समाज की रूढ़िवादी मानसिकता पर वार किया। रेशमा की भूमिका में अपराजिता कुमारी ने अपने सशक्त अभिनय से दर्शकों की सराहना बटोरी। मो. जफ्फर आलम ने चूहड़मल के चरित्र को दमदार उपस्थिति और प्रभावशाली संवाद अदायगी से जीवंत कर दिया। अन्य कलाकारों ने भी अपने पात्रों के साथ न्याय करते हुए प्रस्तुति को मजबूत बनाया। तकनीकी पक्ष में मंच निर्माण, प्रकाश, संगीत और ध्वनि प्रभावों ने प्रस्तुति को और प्रभावशाली बनाया। नाटक ‘नागरदोला’ ने दर्शकों के मन में प्रेम की अमरता और मानवीय संवेदना का गहरा संदेश छोड़ा, जिसकी दर्शकों ने देर तक तालियों के साथ सराहना की।
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