प्रयागराज के उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (एनसीजेडसीसी) में बुधवार शाम जयशंकर प्रसाद की प्रसिद्ध कृति ‘गुंडा’ नाटक का मंचन किया गया। प्रवीण सांस्कृतिक नाट्योत्सव के तहत पटना की नाट्य मंडली द्वारा प्रस्तुत इस नाटक का उद्घाटन केंद्र के निदेशक सुदेश शर्मा ने किया। यह नाटक जयशंकर प्रसाद की ऐतिहासिक दृष्टि, देशभक्ति और मानवीय संवेदनाओं को जीवंत करता है। ‘गुंडा’ नाटक स्वतंत्रता-पूर्व भारत की पृष्ठभूमि पर आधारित है। इसमें अंग्रेजी शासन के विरुद्ध संघर्ष, सामाजिक विद्रोह, प्रेम और करुणा जैसे भावों का चित्रण है। नाटक का केंद्रीय पात्र नंहाकू सिंह है, जिसे अजीत कुमार ने निभाया। नंहाकू सिंह अंग्रेजों के अन्याय और अत्याचारों के खिलाफ खड़ा एक साहसी भारतीय है। नाटक में नंहाकू सिंह के संघर्ष और मानवीय करुणा का सशक्त चित्रण किया गया है, जो उसे न्याय और मानवता के लिए खड़ा दिखाता है। नाटक में राहुल रंजन ने मलुकी, अपराजिता कुमारी ने दुलारी, श्रीपर्णा चक्रबर्ती ने राजमाता पन्ना और जफ्फर आलम ने कुबरा मौलवी की भूमिका निभाई। इन कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति से कहानी को प्रभावी बनाया। दुलारी और नंहाकू सिंह का संबंध प्रेम की अनुभूति कराता है, जबकि राजमाता पन्ना और कुबरा मौलवी जैसे पात्र स्वतंत्रता की भावना को दर्शाते हैं। कथावाचन की जिम्मेदारी रोहित चंद्रा, अभिषेक आनंद, गौरव पांडेय, स्पर्श मिश्रा और अभिषेक राज ने संभाली। राजू मिश्रा का संगीत और विनय कुमार की प्रकाश परिकल्पना ने नाटक की तकनीकी गुणवत्ता को बढ़ाया और प्रस्तुति को सजीव बनाया। इस अवसर पर शहर के वरिष्ठ रंगकर्मी अतुल यादव, आलोक नायर और नाट्य समीक्षक आलोक पड़ाकर भी मौजूद रहे। ‘गुंडा’ नाटक की यह प्रस्तुति जयशंकर प्रसाद की साहित्यिक महानता के साथ-साथ स्वतंत्रता की भावना, मानवीय मूल्यों और भारतीय संस्कृति को भी दर्शाती है।
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