प्रयागराज में आज पूरी तरह से गुरु भक्ति, सेवा और श्रद्धा की रोशनी में डूबी दिखाई दी। सिखों के नौवें गुरु श्री गुरु तेग बहादुर साहिब की 350वीं शहादत शताब्दी के अवसर पर आयोजित तीन दिवसीय शहीदी समागम का भव्य आयोजन प्रयागराज में किया गया। इस ऐतिहासिक समागम की शुरुआत पहले दिन पंच प्यारों और गुरु ग्रंथ साहिब की अगुवाई में निकाली गई विशाल नगर कीर्तन शोभायात्रा से हुई। गुरुद्वारा पक्की संगत अहियापुर से प्रारंभ हुई यह शोभायात्रा शहर के प्रमुख मार्गों से गुजरते हुए संगत को गुरु साहिब के त्याग, धर्म रक्षा और मानवता के संदेश का स्मरण कराती रही। रास्ते भर श्रद्धालुओं ने पुष्पवर्षा कर स्वागत किया और गुरु वाणी गूंजती रही। इस दौरान योद्धाओं ने तलवार और लाठियों के करतब भी दिखाए। इसके बाद दूसरे दिन, यानी 24 नवंबर, गुरुद्वारा पक्की संगत में शाम 6 बजे से रात 10 बजे तक एक भव्य कीर्तन दरबार आयोजित किया गया। इस दौरान देश-विदेश से आए प्रसिद्ध रागी जत्थों ने गुरु वाणी का मार्मिक कीर्तन प्रस्तुत किया। कथा वाचकों ने गुरु तेग बहादुर जी के जीवन, त्याग, बलिदान और ‘हिंद की चादर’ की उपाधि के पीछे छिपे अद्भुत साहस की कथा सुनाई, जिसे सुनकर संगत भावविभोर हो उठी। गुरुद्वारे का वातावरण देर रात तक पूर्ण आध्यात्मिक श्रद्धा में डूबा रहा। आज 25 नवंबर समागम के अंतिम दिन, गुरु तेग बहादुर साहिब के शहादत दिवस पर सुबह 10 बजे से कार्यक्रमों की शुरुआत की गई। गुरुद्वारे में कीर्तन, गुरु कथा और रक्तदान शिविर आयोजित किया गया, जिसमें श्रद्धालुओं ने मानवता की सेवा को सर्वोपरि मानते हुए बड़ी संख्या में रक्तदान किया। गुरु तेग बहादुर साहिब की शिक्षा सेवा, त्याग और मानवता इन आयोजनों में पूर्ण रूप से प्रतिध्वनित होती रही। इसके बाद दोपहर 2 बजे से लंगर सेवा आरंभ हुई। सेवादारों ने अत्यंत विनम्रता और प्रेमभाव से संगत को लंगर परोसा। विशेष रूप से छोटे बच्चे और बच्चियां भी इस सेवा में बढ़-चढ़कर शामिल हुए। वे श्रद्धापूर्वक लोगों के जूते-चप्पल उठाकर रखने की सेवा कर रहे थे, जो सिख परंपरा की अनूठी पहचान सेवा और नम्रता का सुंदर प्रदर्शन था।
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