प्रयागराज में गुरुवार से ‘बज़्म ए विरासत’ का भव्य आगाज हो गया। जाने-माने फिल्म निर्देशक, निर्माता, अभिनेता और लेखक तिग्मांशु धूलिया के नेतृत्व में इस आयोजन की दूसरी महफिल शुरू हुई है। 19 से 21 दिसंबर तक चलने वाला यह आयोजन शहर की समृद्ध साहित्यिक और सांस्कृतिक विरासत को सामने लाने का सशक्त प्रयास है। इस मंच पर सिनेमा, क्रिकेट और संगीत का अनूठा संगम देखने को मिलेगा। तिग्मांशु धूलिया ने बताया- ‘बज़्म ए विरासत’ के माध्यम से प्रयागराज की परंपराओं, किस्सों और रचनात्मक विरासत को नई पीढ़ी तक पहुंचाने की कोशिश की जा रही है। इस आयोजन से स्थानीय कलाकारों और साहित्यकारों को देश के दिग्गज रचनाकारों के साथ मंच साझा करने का अवसर भी मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज ने कार्यक्रम का किया उद्घाटन
तीन दिवसीय आयोजन का मंच सिविल लाइंस स्थित बिशप जॉनसन स्कूल में सजाया गया है। गुरुवार 19 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया। पहले दिन ‘दास्तान-ए-सरफरोशी’ में हिमांशु बाजपेई, वेदांत भारद्वाज और अजय टिपानिया दास्तान गोई प्रस्तुत करेंगे। इसके बाद ‘प्रयागराज की लंतरानी’ में पुराने इलाहाबाद के किस्से और यादें साझा की जाएंगी। दिन का समापन मुशायरा और कवि सम्मेलन के साथ होगा।
दूसरे दिन की शुरुआत इंडियन फ्यूजन संगीत से होगी 20 दिसंबर को दूसरे दिन की शुरुआत इंडियन फ्यूजन संगीत से होगी। इसके बाद पूर्व क्रिकेटर मोहम्मद कैफ, आशीष जैदी और प्रवीन कुमार क्रिकेट पर चर्चा करेंगे। ‘स्टार्स ऑफ आवर सिटी’ कार्यक्रम में अभिनेता आदित्य श्रीवास्तव, फैसल मलिक, दीप राज राणा, शाश्वत सिंह और निधि सिंह शामिल होंगे। वहीं सिनेमा पर परिचर्चा में आशुतोष गोवारिकर, लीना यादव, अनुराग बासु और अनुभव सिन्हा अपने अनुभव साझा करेंगे। दूसरे दिन का समापन मशहूर बैंड इंडियन ओशन के लाइव कंसर्ट के साथ होगा। तीसरे दिन की शुरुआत ‘डिस्कशन ऑन निराला’ से होगी
21 दिसंबर को कार्यक्रम की शुरुआत ‘डिस्कशन ऑन निराला’ से होगी। इसके बाद ग़ज़ल रेसिटल और इलाहाबाद के साहित्य पर केंद्रित परिचर्चा आयोजित की जाएगी। अंतिम दिन फिल्मी सितारे नीना गुप्ता, गजराज राव, जयदीप अहलावत, विनीत कुमार और मुकेश छाबरा दर्शकों से सीधे संवाद करेंगे। कार्यक्रम का रंगारंग समापन एक प्रसिद्ध बैंड की प्रस्तुति के साथ किया जाएगा। तिग्मांशु धूलिया ने कहा कि ‘बज़्म ए विरासत’ प्रयागराज की जीवंत संस्कृति, साहित्य और कला को एक मंच पर लाकर उसे जीवित रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।
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