प्रयागराज में अधिवक्ताओं ने अपनी सुरक्षा, सम्मान और अधिकारों को लेकर एक बार फिर सरकार का ध्यान आकर्षित किया है। मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने अपनी सात सूत्रीय मांगों पर तत्काल निर्णय लेने की अपील की। अधिवक्ताओं का कहना है कि पूर्व में आयोजित ‘अधिवक्ता अधिकार यात्रा’ के दौरान उठाई गई मांगें अब तक पूरी नहीं हुई हैं। अधिवक्ता अधिकार यात्रा के संयोजक प्रदीप धर तिवारी ‘देवेश्वर’ ने प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में अधिवक्ताओं पर हमले, अपमान और उत्पीड़न की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। इसके बावजूद, अधिवक्ता सुरक्षा अधिनियम अब तक लागू नहीं किया गया है। उन्होंने जोर दिया कि अधिवक्ता न्याय व्यवस्था का महत्वपूर्ण स्तंभ हैं, फिर भी वे स्वयं को सबसे अधिक असुरक्षित महसूस करते हैं। तिवारी ने बताया कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय से लखनऊ तक निकाली गई ‘अधिवक्ता अधिकार यात्रा’ के माध्यम से अधिवक्ता समाज की समस्याओं और पीड़ा को शासन के समक्ष मजबूती से रखा गया था। यात्रा के बाद सरकार से सकारात्मक पहल की उम्मीद थी, लेकिन किसी भी मांग पर अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है। प्रेस कॉन्फ्रेंस में अधिवक्ताओं ने अपनी सात सूत्रीय प्रमुख मांगों को दोहराया। इनमें उत्तर प्रदेश में तत्काल अधिवक्ता सुरक्षा अधिनियम लागू करना, वरिष्ठ अधिवक्ताओं के लिए पेंशन योजना शुरू करना, अधिवक्ताओं को टोल टैक्स में छूट देना, सभी अधिवक्ताओं के लिए 20 लाख रुपये का जीवन बीमा सुनिश्चित करना, प्रदेश के सभी अधिवक्ताओं को चैंबर सुविधा उपलब्ध कराना, नव नामांकित अधिवक्ताओं को तीन वर्षों तक मासिक प्रोत्साहन राशि देना तथा हाईकोर्ट, जिला एवं तहसील न्यायालय परिसरों में चिकित्सा सुविधा के साथ 100 बेड का अस्पताल स्थापित करना शामिल है। अधिवक्ताओं ने स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि सरकार ने उनकी मांगों पर शीघ्र निर्णय नहीं लिया, तो अधिवक्ता समाज आगे की रणनीति तैयार कर आंदोलन को और तेज करेगा। उन्होंने सरकार से अपील की कि अधिवक्ताओं की सुरक्षा और सम्मान से जुड़े विषयों को प्राथमिकता देते हुए तत्काल नीतिगत निर्णय लिए जाएं, ताकि न्याय व्यवस्था और अधिक सशक्त हो सके।
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