प्रख्यात पखावज वादक राज खुशीराम का बुधवार रात निधन हो गया। उन्हें अचानक सांस लेने में तकलीफ हुई, जिसके बाद उन्होंने अंतिम सांस ली। परिजन उन्हें संभाल पाते, उससे पहले ही उनका देहांत हो गया था। राज खुशीराम अयोध्या घराने के विख्यात पखावज गुरु स्वामी पागल दास के शिष्य थे। वह लखनऊ घराने के कथक सम्राट पं. लच्छू महाराज की पटशिष्या, प्रसिद्ध कथक नृत्यांगना कपिला राज के पति थे। उनके निधन से शास्त्रीय संगीत और नृत्य जगत में शोक की लहर है। गुरु -शिष्य परंपरा की शिक्षा को साधना के रूप में जिया राज खुशीराम भारतीय शास्त्रीय संगीत के प्रमुख पखावज वादकों में गिने जाते थे। उन्होंने अयोध्या घराने की परंपरा को पूरी निष्ठा से आगे बढ़ाया। स्वामी पागल दास से प्राप्त गुरु-शिष्य परंपरा की शिक्षा को उन्होंने जीवनभर साधना के रूप में जिया। उनकी वादन शैली में गहराई, ठहराव और लय की स्पष्टता दिखाई देती थी। मंच पर उनका पखावज संवाद की तरह बोलता था। उन्होंने देश के कई प्रमुख संगीत समारोहों में प्रस्तुतियां दीं। कथक, ध्रुपद और शास्त्रीय नृत्य के साथ उनका संगत कौशल विशेष रूप से सराहा जाता था। वह लंबे समय तक कथक मंचों पर संगत करते रहे। उनकी पत्नी कपिला राज के साथ उनकी जुगलबंदी श्रोताओं के बीच खास पहचान रखती थी। संगीत को उन्होंने आजीविका नहीं, साधना माना राज खुशीराम एक संवेदनशील कलाकार के साथ सरल व्यक्तित्व के धनी थे। युवा कलाकारों को मार्गदर्शन देना उनकी दिनचर्या का हिस्सा था। संगीत को उन्होंने आजीविका नहीं, साधना माना। उनके निधन को गुरु परंपरा की अपूरणीय क्षति माना जा रहा है। उनके जाने से पखावज वादन की एक सशक्त आवाज हमेशा के लिए मौन हो गई है।
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