देवरिया। औद्योगिक प्लॉट की जालसाजी कर खरीद-बिक्री के मामले में जेल भेजे गए पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर की जमानत अर्जी मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) की अदालत में दाखिल कर दी गई है। इस बहुचर्चित मामले में जमानत अर्जी पर 15 दिसंबर को सुनवाई निर्धारित की गई है। पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर को पुलिस ने शाहजहांपुर से गिरफ्तार किया था। मामले की विवेचना कर रही एसआईटी, लखनऊ ने उन्हें बुधवार को देवरिया स्थित सीजेएम मंजू कुमारी की अदालत में पेश किया था। न्यायालय ने अभियुक्त को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया था। इसके बाद अभियुक्त की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद कुमार पांडेय और सुभाष चंद्र राव ने अदालत में जमानत अर्जी दाखिल की। हालांकि, अदालत में शोक प्रस्ताव होने के कारण अर्जी पर तत्काल सुनवाई नहीं हो सकी। न्यायालय ने मामले को आगामी 15 दिसंबर के लिए सूचीबद्ध किया है। पूर्व आईपीएस के अधिवक्ताओं ने अदालत में दलील दी कि यह मामला मूल रूप से दीवानी प्रकृति का है, जिसे जानबूझकर आपराधिक रूप देकर राजनीतिक प्रतिशोध के तहत दर्ज कराया गया है। उन्होंने तर्क दिया कि अमिताभ ठाकुर की कथित घटना में कोई प्रत्यक्ष भूमिका नहीं है और तथ्यों को गलत तरीके से प्रस्तुत कर उन्हें फंसाया गया है। बचाव पक्ष ने यह भी कहा कि मामले में लगाए गए आरोप प्रथम दृष्टया टिकाऊ नहीं हैं। इस बीच, अदालत ने सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी सख्ती दिखाई है। सीजेएम ने न्यायालय की सुरक्षा व्यवस्था के प्रभारी अधिकारी से स्पष्टीकरण तलब किया है, जिससे स्पष्ट है कि अदालत पूरे मामले को गंभीरता से ले रही है। पूर्व आईपीएस अधिकारी का नाम जुड़ने के कारण यह मामला लगातार सुर्खियों में बना हुआ है। अब 15 दिसंबर को होने वाली सुनवाई में यह स्पष्ट होगा कि अमिताभ ठाकुर को जमानत मिलती है या उन्हें अभी न्यायिक हिरासत में ही रहना पड़ेगा।
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