वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय से संबद्ध 135 स्ववित्तपोषित महाविद्यालयों के प्रथम वर्ष के परीक्षा फॉर्म भरने का पोर्टल बंद कर दिया गया है।स्नातक और परास्नातक प्रथम वर्ष के छात्रों को फॉर्म न भर पाने के कारण भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। प्रबंधक संघ के अध्यक्ष संजीत कुमार सिंह ‘मान सिंह’ ने कहा कि राजभवन लखनऊ ने सभी कॉलेजों को मानक पूरा करने के लिए 20 फरवरी 2026 तक का स्पष्ट समय दिया है।इसके बावजूद विश्वविद्यालय ने पोर्टल बंद कर छात्रों और कॉलेजों को संकट में डाल दिया। उन्होंने सवाल उठाया- “जब पूरा समय मिला हुआ है, तो पोर्टल बंद रखने का औचित्य क्या है? यह छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ है।” रिश्वत लेकर पोर्टल खोलने का चौंकाने वाला आरोप बैठक में यह गंभीर आरोप भी लगा कि कुछ कॉलेजों का पोर्टल कथित रूप से रिश्वत लेकर खोल दिया गया, जबकि बाकी 135 कॉलेजों को रोका जा रहा है।महासंघ ने इसे खुला भ्रष्टाचार बताते हुए तत्काल जांच की मांग की। विश्वविद्यालय पर फाइल न बढ़ाने का आरोप—‘बिना पैसा लिए काम नहीं’ प्रबंधक संघ ने आरोप लगाया कि शिक्षकों के अनुमोदन से लेकर छोटे-छोटे कार्यों तक विश्वविद्यालय के कुछ जिम्मेदार पैसे के बिना फाइल आगे नहीं बढ़ाते।इससे शिक्षण व्यवस्था प्रभावित हो रही है और कॉलेजों को बार-बार आर्थिक व प्रशासनिक दबाव झेलना पड़ रहा है। विश्वविद्यालय का पक्ष—अर्थदंड पूरा करने पर खुलेगा पोर्टल पूर्वांचल विश्वविद्यालय के कुलसचिव केशलाल ने कहा कि ‘छात्र तनाव में, प्रबंधन पर दबाव’—उपाध्यक्ष व सचिव उपाध्यक्ष रामानंद यादव और सचिव भूपेंद्र यादव ने भी विश्वविद्यालय प्रशासन पर भेदभाव का आरोप लगाया।उन्होंने कहा कि पोर्टल बंद रहने से छात्र-छात्राएं मानसिक तनाव में हैं और कॉलेज प्रबंधनों पर अनावश्यक दबाव पड़ रहा है। पोर्टल न खुला तो हाईकोर्ट में याचिका बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि यदि विश्वविद्यालय तत्काल पोर्टल नहीं खोलता है तोमामले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी जाएगी।रिट याचिका दायर करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
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