खुद को करणी सेना का उपाध्यक्ष बताने वाले योगेंद्र राणा को पुलिस ने पिछले दो दिनों में दो बार पकड़ा। दोनों ही बार वह पुलिस की पकड़ से छूट गया। पहली घटना गुरुवार को और दूसरी घटना शनिवार की देर शाम की है। दोनों घटना में उसने कानून को हाथ में लिया। पुलिस वालों को भी पीट दिया। एफआईआर दर्ज करने के बाद भी पुलिस उसे जेल नहीं भिजवा सकी। पुलिस की इस कार्यशैली पर अब सवाल खड़े हो रहे हैं। पहले दोनों घटना को समझिए… पहली घटना 4 दिसंबर की है… गुरुवार की शाम योगेंद्र राणा ने शराब के नशे में पहले सरेआम पब्लिक के साथ गुंडई की। शिकायत पर पहुंची पुलिस को साथियों की मदद से जमकर पीटा। मौके पर पहुंचे सिपाही, दरोगा सब पिटे, लेकिन पुलिस इसे 24 घंटे हवालात में नहीं रख सकी। पुलिस वालों को पीटने के बाद राणा चंद घंटे बाद कचहरी से मुस्कुराते हुए बाहर निकला। इसके साथियों ने सोशल मीडिया पर लिखा-स्वागत है हमारे शेर का। वेलकम बैक किंग…। राणा को कचहरी से खड़े-खड़े जमानत मिल गई। उसकी वजह थी पुलिस का हल्की धाराओं में राणा पर लिखा गया मुकदमा। सरेआम खुद पिटने के बाद भी पुलिस सख्ती नहीं कर सकी। इसे लेकर अलग से पुलिस महकमे में चर्चाएं हैं। एक पीपीएस का फोन कॉल इसके पीछे की वजह बताया जा रहा है। दूसरी घटना 6 दिसंबर की है… बात यहां तक सिमट जाती तो गनीमत थी। शनिवार रात को रंगदारी के मामले में कटघर पुलिस ने राणा को फिर से पकड़ लिया। इस बार धाराएं भी मजबूत थीं और वादी भी चीख-चीखकर इंसाफ मांग रहा था। लेकिन योगेंद्र राणा की फैमिली और चंद लड़कों के कटघर थाने के गेट प जुटने का प्रेशर शहर की पुलिस नहीं झेल सकी। ऐसे में उसको रात 2 बजे थाने से ही छोड़ दिया गया। पहले सरेआम गुंडई और फिर पुलिस के मुंह पर सरेआम तमाचे मारने वाले को लड़कों का एक झुंड जुलूस के अंदाज में कचहरी से अपने साथ लेकर निकला। इसे अधर्म पर धर्म की विजय के गानों के साथ सोशल मीडिया पर पोस्ट किया गया। इस पूरे घटनाक्रम से लोग पुलिस की कार्यशैली पर ही सवाल कर रहे हैं। लोग कह रहे हैं कि आम आदमी पर वर्दी का रौब गांठने वाली मुरादाबाद शहर की पुलिस पूरी तरह खामोश और तमाशबीन बनी रही। चर्चा यह हो रही है कि अगर योगेंद्र राणा को जेल भेजने की हिम्मत शहर की पुलिस नहीं जुटा सकी थी तो उसे फिल्मी अंदाज में उठाकर लाने की जरूरत क्या थी ? पुलिस का तर्क है कि पूछताछ के लिए लाए थे। पूछताछ के लिए तो पुलिस सफीना भेजकर भी आरोपी को बुलवा सकती है। उसके लिए पुलिस वालों की पूरी टीम को भेजने पर सवाल हो रहे हैं। अब जरा पिटने वाले पुलिस अधिकारी की तस्वीर देखिए अब पढ़िए राणा के हाथों पिटे पुलिस उप निरीक्षक ने FIR में क्या कहा- ‘ मैं उप निरीक्षक शिवम कुमार वशिष्ठ मय हमराज हेड कांस्टेबल मोहित कुमार और हेड कांस्टेबल अश्वनी खटाना के साथ चौकी लाइनपार क्षेत्र में गुरुवार रात शांति व्यवस्था गश्त पर निकला हुआ था। जब हम गश्त करते हुए रिलायंस पेट्रोल पंप के सामने कट के पास पहुंचे तो 7-8 व्यक्ति शराब के नशे में आपस में झगड़ा कर रहे थे।’ ‘तभी मौके पर पहुंचे PRV0225 के पुलिस कर्मियों द्वारा झगड़ रहे लोगों को समझाने का प्रयास किया जा रहा था। लेकिन शराब के नशे में झगड़ रहे लोग पीआरवी पर तैनात पुलिस कर्मियों से अभद्रता करने लगे और आमादा फौजदारी हो गए। इस पर मैंने उन लोगो को समझाने का प्रयास किया। लेकिन वे लोग नहीं माने और जोर-जोर से चिल्लाते हुए हम पुलिस वालों को गाली देते हुए हमारे साथ मारपीट करने लगे।’ देखिए उन पुलिस अधिकारियों की तस्वीरें, जिनके इलाके में राणा ने पुलिस वालों को कूटा थाने के गेट पर सिर्फ एक पुलिस अफसर के खिलाफ नारेबाजी के पीछे का राज शुक्रवार देर शाम पुलिस ने योगेंद्र राणा को रंगदारी के एक मामले में हिरासत में लिया था। योगेंद्र राणा के पड़ोसी सुमित ठाकुर ने उसके खिलाफ कनपटी पर पिस्टल लगाकर रंगदारी मांगने के आरोप में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इस मामले में योगेंद्र राणा के पुलिस हिरासत में जाते ही उसके भाई चैतन्य ठाकुर और 15-16 परिजनों व समर्थकों ने कटघर थाने पर प्रदर्शन शुरू कर दिया। इस दौरान योगेंद्र राणा के परिजन बार-बार सिर्फ SSP का नाम लेते रहे। बाकी पुलिस अधिकारियों का यहां कोई जिक्र नहीं था। पुलिस महकमे के सूत्र बताते हैं कि गुरुवार को जब एसएसपी सतपाल अंतिल को सूचना दी गई कि योगेंद्र राणा ने पुलिस वालों के साथ मारपीट की है तो उन्होंने अधीनस्थों को मामले में कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए। लेकिन, योगेंद्र राणा से हमदर्दी रखने वाले पुलिस अधिकारियों ने राणा को लाभ पहुंचाते हुए मामला हल्की धाराओं में दर्ज किया। इतना ही नहीं राणा को सफाई भी देते रहे कि बड़े साहब का निर्देश है इसलिए कार्रवाई करनी पड़ रही है, वरना ऐसे भी छोड़ सकते थे। यहां तक कि निचले स्तर के पुलिस अधिकारियों की बेबसी योगेंद्र राणा के भाई चैतन्य के सामने भी जारी था। यहां तक कि इस मामले में इंटरनल आदेश-निर्देश भी लीक कर दिए गए। शायद तभी कटघर थाने के गेट पर बैठा चैतन्य बार-बार कहता रहा कि पुलिस तो छोड़ देती उसके भाई को कप्तान की कॉल पर बंद किया गया है। फिलहाल इस मामले में शहर की पुलिस की फजीहत हो रही है। लोग कह रहे हैं कि जो पुलिस खुद अपनी सुरक्षा नहीं कर सकती, उससे शहर पब्लिक की सुरक्षा की भला क्या उम्मीद की जाए? खुद को तेज-तर्रार कहलाने वाले मुरादाबाद शहर के पुलिस अधिकारी जिस तरह योगेंद्र राणा के आगे सरेंडर कर गए, उससे उनके चेहरे भी बेनकाब हो रहे हैं। अब जानिए कौन है योगेंद्र राणा, इकरा हसन पर कर चुका है टिप्पणी खुद को करणी सेना का उपाध्यक्ष बताने वाला योगेंद्र राणा मुरादाबाद की कुंदरकी सीट से भाजपा के विधायक ठाकुर रामवीर सिंह का करीबी है। जमीनों पर कब्जों के मामलों में भी योगेंद्र राणा का नाम खूब उछला है। एक के बाद एक विवादित बयानों के मामले में भी राणा के खिलाफ मुकदमे तो दर्ज हुए लेकिन कभी उसकी अरेस्टिंग नहीं हुई। राणा अब से पहले शहर में छोटे-मोटी मारपीट करता रहा है। लेकिन पहला मौका है जब उसने सीधे तौर पर पुलिस पर हाथ डालने की जुर्रत की। सरेआम पुलिस कर्मियों से मारपीट और गुंडई करने वाला भाजपा विधायक का करीबी था, इसलिए तुरंत इसकी सूचना उच्चाधिकारियों को दी गई। इसके बाद आरोपी के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया। हालांकि जेल नहीं भेजा जा सका। करीब पांच महीने पहले 19 जुलाई को कैराना की सांसद इकरा हसन पर विवादित टिप्पणी कर चुका है। वह तब भी पुलिस की कार्रवाई से बच निकला था। शादीशुदा होकर उसने इकरा हसन से निकाह करने की बात कही थी। इसे लेकर काफी आलोचना भी हुई। 19 जुलाई को योगेंद्र राणा ने क्या कहा, पूरा बयान पढ़िए कैराना सांसद इकरा हसन अभी अविवाहित हैं। मैं भी देखने में उनसे कम खूबसूरत नहीं हूं। मेरा घर मकान भी ठीकठाक है। मेरे पास जमीन जायदाद और माल भी कम नहीं है। मुरादाबाद में मेरे कई मकान हैं। मैंने अपनी पत्नी से भी पूछ लिया है। इकरा हसन चाहें तो मुझसे शादी कर सकती हैं। मैं उन्हें अपने घर में नमाज पढ़ने की इजाजत इे दूंगा। लेकिन एक शर्त है कि असदुद्दीन और अकबरुद्दीन ओवैसी मुझे जीजा कहकर बुलाएंगे। मुझे इकरा हसन से निकाह कबूल है …कबूल है… कबूल है।
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