योगेंद्र राणा..। खुद को करणी सेना का उपाध्यक्ष कहने वाले इस शख्स ने गुरुवार शाम शराब के नशे में पहले सरेआम पब्लिक के साथ गुंडई की। फिर जब शिकायत पर पुलिस पहुंची तो पुलिस वालों को साथियों की मदद से जमकर पीटा। मौके पर पहुंचे सिपाही, दरोगा सब पिटे लेकिन पुलिस इस शख्स को 24 घंटे हवालात में नहीं रख सकी। पुलिस वालों को पीटने के बाद राणा चंद घंटे बाद कचहरी से मुस्कुराते हुए बाहर निकला। इसके साथियों ने सोशल मीडिया पर लिखा-स्वागत है हमारे शेर का। वेलकम बैक किंग…। राणा को कचहरी से खड़े-खड़े जमानत मिल गई। उसकी वजह थी पुलिस का हल्की धाराओं में राणा पर लिखा गया मुकदमा। खुद पिटने के बाद भी पुलिस वालों के हाथ एक्शन में कांपे इसे लेकर अलग से पुलिस महकमे में चर्चाएं हैं। एक पीपीसी का फोन कॉल इसके पीछे की वजह बताया जा रहा है। पहले सरेआम गुंडई और फिर पुलिस के मुंह पर सरेआम तमाचे मारने वाले को लड़कों का एक झुंड जुलूस के अंदाज में कचहरी से अपने साथ लेकर जाता है। इसे अधर्म पर धर्म की विजय के गानों के साथ सोशल मीडिया पर पोस्ट किया जाता है। पुलिस की जमकर फजीहत होती है, लेकिन आम आदमी पर वर्दी का रौब गांठने वाली मुरादाबाद शहर की तेज तर्रार पुलिस पूरी तरह खामोश तमाशबीन बनी रहती है। बात यहां तक सिमट जाती तो गनीमत थी। शनिवार रात को रंगदारी के मामले में कटघर पुलिस ने राणा को फिर से पकड़ लिया। इस बार धाराएं भी मजबूत थीं और वादी भी चीख-चीखकर इंसाफ मांग रहा था। लेकिन योगेंद्र राणा की फैमिली और चंद लड़कों के कटघर थाने के गेट प जुटने का प्रेशर शहर की पुलिस नहीं झेल सकी। नतीजतन राणा को रात 2 बजे थाने से ही छोड़ दिया गया। अब सवाल ये है कि अगर योगेंद्र राणा को जेल भेजने की हिम्मत शहर की पुलिस नहीं जुटा सकी थी तो उसे फिल्मी अंदाज में उठाकर लाने की जरूरत क्या थी ? पुलिस का तर्क है कि पूछताछ के लिए लाए थे। पूछताछ के लिए तो पुलिस सफीना भेजकर भी आरोपी को बुलवा सकती है। उसके लिए काबिल पुलिस वालों की पूरी टीम को भला जहमत क्यों दी गई? खबर अपडेट हो रही है…
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