लखनऊ हाईकोर्ट ने पीसीएस (सम्मिलित राज्य/प्रवर अधीनस्थ सेवा) प्रारंभिक परीक्षा, 2025 और सहायक वन संरक्षक प्रारंभिक परीक्षा के परिणामों को चुनौती देने वाली एक रिट याचिका पर सुनवाई की है। कोर्ट ने राज्य सरकार और उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) को तीन सप्ताह के भीतर प्रतिशपथ पत्र दाखिल करने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति मनीष माथुर की एकल पीठ ने मनीष कुमार और तीन अन्य अभ्यर्थियों की रिट याचिका पर पारित किया। मामले की अगली सुनवाई 22 जनवरी को निर्धारित की गई है। याचिकाकर्ताओं ने दलील दी है कि वे ओबीसी अभ्यर्थी के रूप में प्रारंभिक परीक्षा में शामिल हुए थे। उन्हें प्राप्त अंक सामान्य श्रेणी के कट-ऑफ अंक से अधिक थे। उनकी याचिका में कहा गया है कि आरक्षण अधिनियम और माइग्रेशन नियमों के अनुसार, यदि आरक्षित वर्ग का कोई उम्मीदवार बिना किसी विशेष छूट का लाभ लिए सामान्य श्रेणी के कट-ऑफ के बराबर या उससे अधिक अंक प्राप्त करता है, तो उसे सामान्य श्रेणी में समायोजित किया जाना चाहिए। याचियों का आरोप है कि उन्हें इन नियमों का लाभ नहीं दिया गया और मुख्य परीक्षा से वंचित कर दिया गया। प्रारंभिक सुनवाई के बाद, अदालत ने प्रतिवादियों को अपना जवाब दाखिल करने का अवसर दिया है।
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