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पीलीभीत में राजनीतिक उठापटक:दलों को कार्यालय संकट, भाजपा में अंदरूनी कलह

पीलीभीत में वर्ष 2025 राजनीतिक उठापटक और बदलावों का साल रहा। इस दौरान राजनीतिक कद में उतार-चढ़ाव, विरासत में परिवर्तन और संगठनों के ठिकानों में बदलाव देखने को मिले। सत्ता पक्ष जहां आंतरिक कलह से जूझता रहा, वहीं विपक्षी दल अपने अस्तित्व और कार्यालयों को बचाने के लिए संघर्ष करते दिखे। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लिए यह वर्ष विकास की उपलब्धियों और अंदरूनी असंतोष का मिश्रण रहा। केंद्रीय मंत्री और सांसद जितिन प्रसाद तथा पूरनपुर विधायक बाबूराम पासवान ने शारदा नदी पर धनारा घाट पुल का निर्माण कराकर बड़ी उपलब्धि हासिल की। हालांकि, जिले में सांसद कार्यालय का न होना चर्चा का विषय बना रहा, जिसे जनता से दूरी के रूप में देखा गया। कांग्रेस कार्यालय पर रातों-रात भाजपा का झंडा और बैनर लगा दिए गए गन्ना राज्य मंत्री संजय सिंह गंगवार ने भरा पचपेड़ा औद्योगिक क्षेत्र में खमीर फैक्ट्री जैसे प्रोजेक्ट लाकर विकास के मोर्चे पर बढ़त बनाई। इसके बावजूद, पार्टी के भीतर गुटबाजी चरम पर रही। बरखेड़ा विधायक स्वामी प्रवक्तानंद और मरौरी ब्लॉक प्रमुख सभ्यता देवी वर्मा के बीच का विवाद इतना बढ़ गया कि सभ्यता वर्मा को अंततः निलंबित कर दिया गया। प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) के लिए वर्ष 2025 कार्यालय संकट का साल रहा। नकटा दाना चौराहे पर स्थित सपा कार्यालय, जो नगर पालिका के आवास में आवंटित था, समय सीमा समाप्त होने के बाद खाली करा लिया गया। कोर्ट से राहत न मिलने के कारण अब पार्टी का संचालन जिला महासचिव नफीस अहमद अंसारी के आवास से किया जा रहा है। कांग्रेस की स्थिति भी इससे अलग नहीं रही। छतरी चौराहे के पास स्थित कांग्रेस कार्यालय पर रातों-रात भाजपा का झंडा और बैनर लगा दिए गए, जिससे राजनीतिक गलियारों में खूब चर्चा हुई। बाद में जानकारी मिली कि कार्यालय को दूसरी जगह स्थानांतरित कर दिया गया है।


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