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पीलीभीत में गोकशी मुखबिरी पर हत्या:10 साल पुराने मामले में 5 दोषियों को उम्रकैद

पीलीभीत के पूरनपुर थाना क्षेत्र में लगभग दस वर्ष पूर्व गोकशी की मुखबिरी के संदेह पर पड़ोसी वकील खां की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या के मामले में न्यायालय ने फैसला सुनाया है। गुरुवार को अपर सत्र न्यायाधीश विजय कुमार ने मुख्य दोषी शहीदा उर्फ शहीद खां समेत उसके चार साथी भाइयों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। यह घटना 24 जून 2015 को पूरनपुर के ढका गांव में हुई थी। अभियोजन पक्ष के सहायक शासकीय अधिवक्ता नंदन बाबू गंगवार ने बताया कि ढका गांव निवासी शहीद खां उर्फ शहीदा सुनसान क्षेत्रों में गोहत्या कर मांस तस्करी करता था। जनवरी 2015 में पुलिस ने उसे गोकशी के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेजा था। शहीदा के चार साथी भाइयों, शाहिद खां, राशिद, आरिफ व वाजिद, को शक था कि पड़ोसी वकील खां ने ही पुलिस को सूचना दी थी। वकील खां की पत्नी शाहबुन्निशा के अनुसार, 24 जून 2015 को जब वकील खां ने गन्ने के खेत में गोकशी की तैयारी कर रहे शहीदा पर आपत्ति जताई तो दोनों में मारपीट हुई। दोपहर करीब 12:30 बजे, शहीदा और उसके साथी राशिद, आरिफ, शाहिद और वाजिद लाइसेंसी राइफल, बंदूक और तमंचे लेकर वकील खां के घर में घुस आए। शोर सुनकर वकील खां के बड़े भाई अकील खां बीच-बचाव के लिए आए, तो उन्हें भी पीटा गया। इसके बाद हमलावरों ने वकील खां को घर से खींचकर सड़क पर लाए और ताबड़तोड़ गोलियां मारकर उनकी हत्या कर दी। पुलिस विवेचना में पता चला कि घटना में शहीदा व उसके चार भाइयों के साथ खालिद व आसिफ भी शामिल थे। अभियोजन पक्ष ने घटना की प्रत्यक्षदर्शी शाहबुन्निशा और घायल हुए नूर मोहम्मद व अतीक समेत अन्य ग्रामीणों को गवाह बनाया। कोर्ट ने शहीदा, शाहिद, राशिद, आरिफ और वाजिद को हत्या का दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई। शहीदा और राशिद पर 34-34 हजार रुपये तथा अन्य तीन भाइयों पर 30-30 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया। वहीं, खालिद और आसिफ को तीन-तीन वर्ष कारावास और चार-चार हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई गई है।


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