पीलीभीत जिला पंचायत में 25 करोड़ रुपए के विकास कार्यों के टेंडर खुलने की प्रक्रिया में गंभीर अनियमितता का मामला सामने आया है। आरोप है कि संबंधित इंजीनियर के छुट्टी पर होने के बावजूद उनका डोंगल (डिजिटल सिग्नेचर) अवैध रूप से इस्तेमाल किया गया। इस घटना ने टेंडर प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। आरोप है कि यह अनियमितता करीबी ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से की गई थी। इस कथित ‘मैनेजमेंट’ ने पूरी टेंडर प्रक्रिया को संदेह के घेरे में ला दिया है। मामले की शिकायतें सामने आने के बाद, मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) राजेंद्र श्रीवास ने जिला पंचायत के अपर मुख्य अधिकारी (एएमए) धर्मेंद्र कुमार से 2 दिसंबर को दो दिन के भीतर जांच रिपोर्ट मांगी थी। हालांकि, घटना के चार दिन बीत जाने और शनिवार तक भी अपर मुख्य अधिकारी ने सीडीओ को अपनी जांच रिपोर्ट उपलब्ध नहीं कराई है। एएमए द्वारा रिपोर्ट न दे पाना मामले को दबाने के प्रयासों की आशंका को बल देता है। मामले की गंभीरता और रिपोर्ट में हो रही देरी को देखते हुए, सीडीओ राजेंद्र श्रीवास ने सख्त रुख अपनाया है। सीडीओ ने बताया, “मामले की जांच रिपोर्ट अपर मुख्य अधिकारी द्वारा अभी तक नहीं दी गई है। मैं इस पूरे प्रकरण से जिलाधिकारी (डीएम) को अवगत कराऊंगा।” इस कथित अनियमितता के कारण जिला पंचायत की टेंडर प्रक्रिया में पारदर्शिता पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। अब सभी की निगाहें सीडीओ द्वारा जिलाधिकारी को दी जाने वाली रिपोर्ट और उसके बाद संभावित सख्त कार्रवाई पर टिकी हैं।
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