पीलीभीत जिला पंचायत में करीब 25 करोड़ रुपए की 112 विकास परियोजनाओं की ई-निविदाएं तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दी गई हैं। इन टेंडरों में गंभीर अनियमितता और फर्जीवाड़े के आरोप सामने आए थे। आरोप है कि जिला पंचायत अध्यक्ष के करीबी ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए नियमों की खुलेआम अनदेखी की गई। लगातार बढ़ते दबाव और शिकायतों के बाद जिला पंचायत प्रशासन को कार्रवाई करनी पड़ी। मामला तब उजागर हुआ, जब छुट्टी पर गए एक इंजीनियर के डोंगल का उपयोग कर गुपचुप तरीके से टेंडर खोले जाने की जानकारी सामने आई। इसे वित्तीय नियमों का गंभीर उल्लंघन माना जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, अनियमितताएं सीधे तौर पर जिला पंचायत अध्यक्ष के निर्देश पर की गईं। आरोप यह भी है कि कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से टेंडर “मैनेज” करने की कोशिश की गई। इस प्रकरण में अपर मुख्य अधिकारी धर्मेंद्र कुमार पर भी गंभीर आरोप लगे हैं। दावा है कि उन्होंने कई दिनों तक पूरे मामले को दबाने की कोशिश की और उच्चाधिकारियों को गलत रिपोर्ट देकर गुमराह किया। कमिश्नर से शिकायत के बाद बढ़ा दबाव शुक्रवार को कई पीड़ित और शिकायतकर्ता ठेकेदारों ने बरेली में मंडलायुक्त से मुलाकात कर पूरे फर्जीवाड़े की जानकारी दी। मामले की गंभीरता कमिश्नर तक पहुंचते ही जिला पंचायत प्रशासन में हड़कंप मच गया। इसके तुरंत बाद, 12 दिसंबर 2025 को ही अपर मुख्य अधिकारी ने निविदाओं को निरस्त करने का आदेश जारी कर दिया। आदेश में “अपरिहार्य कारणों” का हवाला दिया गया है, जबकि ठेकेदारों का कहना है कि यह कदम कमिश्नर के दखल के बाद टेंडर मैनेजमेंट के खेल को रोकने के लिए उठाया गया। दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग 25 करोड़ रुपए के टेंडर निरस्त होने के कारण विकास कार्यों में देरी तय मानी जा रही है। वहीं, अब इस पूरे फर्जीवाड़े की उच्च स्तरीय जांच की मांग जोर पकड़ने लगी है, ताकि दोषी अधिकारियों और संबंधित लोगों पर कठोर कार्रवाई की जा सके।
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