जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय परिसर स्थित अंबेडकर प्रतिमा स्थल पर शनिवार को बाबा साहब भीमराव अंबेडकर का परिनिर्वाण दिवस मनाया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों से जुड़े शिक्षक, विद्यार्थी और कर्मचारी उपस्थित थे। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि परीक्षा नियंत्रक डॉ. विनोद कुमार सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि बाबा साहब ने संविधान में न केवल अधिकारों को समाहित किया, बल्कि कर्तव्यों का भी उल्लेख किया है। उन्होंने भारतीय संविधान को विश्व के सबसे सुंदर और प्रभावी दस्तावेजों में से एक बताया। विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए डॉ. सिंह ने कहा कि बाबा साहब को सच्ची श्रद्धांजलि तभी दी जा सकती है, जब विद्यार्थी शिक्षित बनें और अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हों। उनके अनुसार, इसी से सही मायने में देश का विकास संभव हो सकेगा। समानता के संघर्ष को आज भी प्रेरणा का स्रोत बताया विधि विभाग के निदेशक डॉ. विनोद कुमार ने बाबा साहब के सामाजिक न्याय और समानता के संघर्ष को आज भी प्रेरणा का स्रोत बताया। उन्होंने कहा कि बाबा साहब का जीवन हमें अपने अधिकारों के साथ-साथ समाज के प्रति अपने दायित्वों को समझने और निभाने का संदेश देता है। जनसंचार विभाग के डॉ. सुनील कुमार ने लोकतंत्र में मीडिया की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि बाबा साहब के आदर्शों को जन-जन तक पहुँचाना जनसंचार का परम कर्तव्य है और उनकी सोच को समकालीन संदर्भ में प्रस्तुत किया जाना चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों को शिक्षा के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि “शिक्षा वह शेरनी का दूध है जो पियेगा वहीं दहाडेगा।” रज्जू भैया संस्थान के डॉ. नितेश जायसवाल ने युवाओं से बाबा साहब के सिद्धांतों को अपनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि युवाओं को जीवन में न्याय, समानता और स्वाभिमान के मार्ग पर चलना चाहिए। यह दिवस हमें उनके संघर्षों को याद दिलाकर जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का अवसर प्रदान करता है। विधि विभाग के डॉ. अनुराग मिश्रा ने संविधान के माध्यम से लोकतंत्र के अंतिम नागरिक तक न्याय पहुँचाने को बाबा साहब की सबसे बड़ी उपलब्धि बताया। उन्होंने इस उपलब्धि का सम्मान करते हुए संविधान की भावना को स्थापित करने पर बल दिया।
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