हाईकोर्ट की सख्ती के बाद कानपुर में अधिवक्ता अखिलेश दुबे के पार्कों पर कब्जा करके स्कूल, बास्केटबॉल कोर्ट और प्लॉटिंग देखकर अफसर भी दंग रह गए। हाईकोर्ट के आदेश पर शासन की ओर से गठित कमेटी गुरुवार को अपनी रिपोर्ट तैयार कर लेगी और 5 दिसंबर को हाईकोर्ट में रिपोर्ट पेश करेगी। केडीए वीसी समेत कमेटी में शामिल अन्य अफसरों की मानें तो जांच में शिकायतकर्ता के आरोप सही पाए गए हैं। माना जा रहा है कि जल्द ही दुबे के पार्क के अवैध कब्जों पर बुलडोजर चल सकता है। पार्क में अवैध कब्जे देखकर अफसर भी रह गए दंग कानपुर के ब्रम्ह नगर में रहने वाले अधिवक्ता सौरभ भदौरिया ने साकेत नगर के पार्क भूखंड संख्या-559 में अवैध रूप से कब्जा होने का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट में पीआईएल दाखिल की थी। मामले में हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद शासन से कमेटी गठित कर जांच का आदेश और रिपोर्ट तलब की थी। हाईकोर्ट की सख्ती के बाद शासन की ओर से गठित दो सदस्यीय समिति के अध्यक्ष बलकार सिंह के अलावा आवास विभाग के विशेष सचिव राजेश राय बुधवार को डॉ. बृजकिशोरी दुबे स्कूल जांच करने पहुंचे थे। जांच के दौरान सामने आया कि पार्क की जमीन पर स्कूल का बॉस्केट बॉल कोर्ट बना था, इतना ही नहीं पार्क की जमीन पर प्लॉट भी काटकर बेच दिए गए। पार्क की जमीन पर ही इस पूरे परिसर में साम्बा अखिलेश्वर आशुतोष धाम और नि:शुल्क होम्योपैथिक क्लीनिक के नाम पर कब्जा मिला। अफसरों ने डॉ. बृजकिशोरी दुबे मेमोरियल स्कूल का भवन देखा और अधिवक्ता रोहित अवस्थी के कार्यालय और आसपास के प्लॉटों का भी जायजा लिया। ये सब अवैध रूप से पार्क की जमीन पर बने मिले। शासन की टीम के साथ केडीए उपाध्यक्ष मदन सिंह गर्ब्याल, सचिव अभय कुमार पांडेय, चीफ इंजीनियर आरआरपी सिंह, चीफ टाउन प्लानर मनोज कुमार और प्रवर्तन जोन प्रभारी अतुल राय के अलावा केडीए के तमाम अफसर मौजूद रहे। कमेटी को सचिव ने लेआउट प्लान दिखाया। जांच में साफ हो गया कि पार्क की जमीन पर अवैध रूप से कब्जा किया गया है। केडीए उपाध्यक्ष ने बताया कि हाईकोर्ट के आदेश पर शासन की ओर से गठित कमेटी जांच करने पहुंची थी। जांच में आरोप सही पाए गए हैं। कल हाईकोर्ट में तारीख पर इसकी एक विस्तृत रिपोर्ट रखी जाएगी। इसके बाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद आगे की कार्रवाई होगी। नगर निगम ने भी साल भर के लिए दिया था पार्क अफसरों ने केडीए के साथ नगर निगम की टीम को भी मौके पर बुलाया था। क्योंकि केडीए द्वारा बताया गया था कि यह पार्क वर्ष 1978 में ही नगर निगम को रखरखाव के लिए हैंडओवर कर दिया गया था। यह भी बताया कि नगर निगम ने भी स्कूल प्रबंधन का आवंटन बढ़ाया। आवास सचिव ने बलकार सिंह ने जब नगर निगम से सवाल किया तो उन्होंने एक पत्र सौंपा। उसमें अंकित है कि केडीए ने 15 सितंबर 1998 को पार्क की जमीन 10 वर्ष के लिए गोद दी थी। उसे अपर नगर आयुक्त प्रथम आठ जून 2015 की बैठक में निरस्त कर दिया था। इसके बाद 28 अक्तूबर 2016 को इस पार्क को एक वर्ष के लिए फिर आवंटित कर दिया था। प्रभारी अधिशासी अभियंता उद्यान द्वारा दिए गए पत्र में यह भी लिखा है कि अब नगर निगम ने पार्क को अपने कब्जे में लेते हुए ताला बंद कर सुरक्षित कर लिया है। पूछने पर उद्यान अधीक्षक कृपा शंकर पांडेय ने बताया कि अगस्त में पार्क का कब्जा लिया गया है और बॉस्केट बॉल कोर्ट में ताला लगाया गया है। अब कमेटी हाईकोर्ट में पेश करेगी रिपोर्ट शासन की कमेटी अब हाईकोर्ट में अपनी जांच रिपोर्ट पेश करेगी। यह रिपोर्ट दो बिंदुओं पर देनी है कि पार्क की जमीन का आवंटन डॉ. बृज किशोरी दुबे स्कूल प्रबंधन को किसने किया और इसके लिए कौन लोग दोषी हैं। केडीए की तरफ से यही रिपोर्ट दी गई है कि 1998 में तत्कालीन चीफ इंजीनियर डीपीएस त्यागी ने 10 साल के लिए आवंटन किया था। बाद में डीपीएस त्यागी की हत्या हो गई थी। अब मामले में हाईकोर्ट में चल रही सुनवाई के बाद इस अवैध कब्जे पर बड़ा एक्शन हो सकता है।
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