बुलंदशहर में पराली जलाने के आरोप में नौ गन्ना किसानों के सट्टे (गन्ना आपूर्ति खाते) लॉक कर दिए गए हैं। जिला गन्ना अधिकारी अनिल कुमार भारती ने इन किसानों के गन्ने के भुगतान पर भी रोक लगा दी है। यह कार्रवाई लगातार बढ़ते प्रदूषण को नियंत्रित करने के प्रयासों के तहत की गई है। जिला गन्ना अधिकारी अनिल कुमार भारती ने बताया कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के निर्देशों पर गन्ना उत्पादक किसानों को पहले ही चेतावनी दी गई थी। इसमें कहा गया था कि फसल अवशेष जलाने पर उनके सट्टे और गन्ना भुगतान पर रोक लगा दी जाएगी। किसानों पर कार्रवाई के लिए विशेष टीमें गठित की गई हैं और दिल्ली स्थित सैटेलाइट के माध्यम से भी निगरानी रखी जा रही है। अधिकारियों द्वारा लगातार किसानों को फसल अवशेष जलाने से होने वाले नुकसान के बारे में जागरूक किया जा रहा है। इसके बावजूद कुछ किसान गन्ने की पत्ती या अन्य फसल अवशेष जला रहे हैं, जिससे प्रदूषण बढ़ रहा है। जिन किसानों के गन्ना सट्टे लॉक किए गए हैं, उनमें गांव चरौरा के शोभित चौधरी, गजेंद्र सिंह और निशांत कुमार शामिल हैं। इसके अलावा खंदोई निवासी सुभाष चंद चौधरी, डूंगरा जाट निवासी सविता, टिटौटा निवासी सत्येंद्र शर्मा, जिनाई निवासी धर्मवीर सिंह, महाराजपुर करकौरा निवासी सुभाष और जमालपुर निवासी रविंद्र सिंह के नाम भी इस सूची में हैं। इन सभी किसानों को कार्रवाई की सूचना पत्र जारी कर दी गई है। जिला कृषि अधिकारी रामकुमार यादव ने किसानों से फसल अवशेष न जलाने की अपील की है। उन्होंने बताया कि पराली जलाने से निकलने वाला धुआं प्रदूषण बढ़ाता है और मिट्टी की उर्वरता कम करता है, क्योंकि इससे पोषक तत्व और लाभकारी सूक्ष्म जीव नष्ट हो जाते हैं। वायु प्रदूषण से फेफड़ों और हृदय संबंधी बीमारियां भी हो सकती हैं। उन्होंने किसानों को फसल अवशेष को खेत में ही मिलाने की सलाह दी, जिससे मिट्टी की उर्वरता और फसल उत्पादन दोनों बढ़ेंगे।
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