यूपी के जिला शामली में पत्नी और दो बेटियों की बेदर्दी से हत्या करने वाला फारुख साइको जैसा था। वो पत्नी और बच्चों को घर में कैद रखता था। बच्चे बाहर न जाएं, इसलिए उन्हें कभी स्कूल तक नहीं भेजा। परिवार के किसी भी सदस्य के आधार कार्ड भी नहीं बनवाए थे। 15 दिन पहले पति से लड़ाई करके पत्नी घर से निकल गई और वो भी बुर्का पहने बिना। इसी सनक में फारुख ने पत्नी को मार डाला। बेटियां चिल्लाई, तो उनका भी कत्ल कर दिया। तीनों की लाशें सेप्टिक टैंक में दफना दीं। फिलहाल फारुख गिरफ्तार है, लेकिन उसे अपने किए पर कोई पछतावा नहीं। दैनिक भास्कर ने ग्राउंड जीरो पर पहुंचकर फारुख के फैमिली मेंबर्स से अलग-अलग बात की। हमने चश्मदीद बच्ची से भी घटना के बारे में जाना। फारुख के व्यवहार को लेकर गांव के लोगों की राय एक जैसी थी। पूरी रिपोर्ट पढ़िए… पहले पूरा घटनाक्रम जानिए तीनों की लाश गड्ढे में डालकर ऊपर से बनाया फर्श
कांधला थाना क्षेत्र के गांव गढ़ी दौलत में रहने वाला फारुख शादी कार्यक्रमों में खाना बनाने का काम करता है। 10 दिसंबर की रात करीब 12 बजे फारुख ने पत्नी ताहिरा (32) की गोली मारकर हत्या कर दी। ऐसा करते हुए उसकी दो बेटियों ने देख लिया। इस पर फारुख ने बड़ी बेटी आफरीन (14) की गोली मारकर और छोटी बेटी सहरीन (7) की गला दबाकर हत्या कर दी। फिर तीनों की लाश घर के अंदर 10 दिन पहले खुदवाए गए 9 फीट गहरे सेप्टिक टैंक में डाल दी। इसके बाद उसके ऊपर पक्का फर्श कर दिया। वारदात से 10 दिन पहले खुदवाया था सेप्टिक टैंक
कांधला कस्बे से करीब 5 किलोमीटर गढ़ी दौलत गांव है। ये गांव हरियाणा के पानीपत बॉर्डर के ठीक नजदीक है। एक तंग गली से होते हुए हम सीधे फारुख के घर पहुंचे। घर के बाहर भीड़ लगी हुई थी। कई पुलिसवाले कुर्सियों पर बैठकर पहरा दे रहे थे। 100 गज में बने मकान पर प्लास्टर भी नहीं था। गेट के अंदर घुसते ही वो 9 फीट का वो गड्ढा खुदा दिखा, जिसके अंदर तीनों लाशें दफनाई गई थीं। इस गड्ढे के ठीक बगल में दो नए बाथरूम बने थे, जिन पर सीमेंटेड प्लास्टर भी कुछ दिनों पहले हुआ है। आसपास के लोगों ने बताया कि ये गड्ढा करीब 10 दिन पहले खोदा गया था। तब फारुख ने बताया था कि वो घर में कुछ निर्माण कार्य करवा रहा था। लेकिन उसके शातिर दिमाग के पीछे क्या चल रहा, ये कोई नहीं भांप सका। घर के अंदर दो कमरे बने हैं। इनमें सामान अस्त-व्यस्त पड़ा है। रसोई में बर्तन बिखरे हुए हैं। पत्नी-बेटियों को दूसरे घर भेजा और कपड़े जलाए…इन दो बातों से फंसा फारुख
हमने फारुख की बूढ़ी मां असगरी से बात की। उन्होंने बताया- इस मकान में फारुख अपनी पत्नी और 5 बच्चों के साथ रहता था। परिवार के बाकी लोग अलग-अलग घरों में रहते हैं। 6 दिन पहले फारुख पूरे परिवार के साथ एक ही कमरे में सोया था। सुबह जब सब उठे, तो बहू ताहिरा और उसकी दो बेटियां आफरीन व सहरीन कमरे में नहीं थीं। घर में जब तलाश शुरू हुई तो पिता दाउद ने बेटे फारुख से इस बारे में पूछा। इस पर फारुख ने कहा कि घर में काम चल रहा है। इसलिए उसने पत्नी और दोनों बेटियों को शामली में किराए के मकान में शिफ्ट कर दिया है। वो मकान कहां है, ये बात फारुख ने नहीं बताई। तीनों की तलाश जारी थी। इसी बीच फारुख की जिंदा बची दूसरी बेटी ने अपनी दादी असगरी को बताया कि अब्बू ने अम्मी के कपड़े जला दिए हैं। असगरी ने बताया- हमें इन्हीं दो बातों से बेटे फारुख पर शक गहराया। फिर हमने ये दोनों बातें पुलिस को बताईं। पुलिस ने फारुख को कस्टडी में लेकर पूछताछ शुरू की तो वो टूट गया और पूरा घटनाक्रम कबूल लिया। वो बुर्का पहने बिना मायके गई, इसी पर भड़का बेटा
ताहिरा की सास असगरी ने आगे बताया- करीब दो महीने पहले बेटे-बहू के बीच कुछ झगड़ा हुआ था। फारुख ने बहू को थप्पड़ मार दिया था। इसके बाद फारुख काम पर चला गया। उसके पीछे ताहिरा भी किसी को बताए बिना अपने मायके चली गई। वो बुर्का घर पर ही छोड़ गई। फारुख जब घर वापस आया तो उसने देखा कि बुर्का घर पर ही रखा है। ताहिरा के पास एक ही बुर्का था। जब हम उसे मायके से वापस लेकर आए, तब भी ताहिरा बिना बुर्के में थी। हमने पूछा- बुर्का न पहनने को लेकर गांव में क्या कुछ चर्चाएं हुई थीं? इस पर असगरी ने कहा- हमें नहीं पता। न ही मेरे सामने बुर्के को लेकर कोई झगड़ा हुआ था। बेटी बोली- अम्मी चाय बनाने रसोई में गई, अब्बा ने गोली मारी
इस हत्याकांड के बाद अब फारुख के दो बेटे और एक बेटी जीवित बची है। ये भी इसलिए जीवित रह गए, क्योंकि वारदात के वक्त ये गहरी नींद में सो रहे थे। 7 साल की आसमीन बताती है- उस रात हम एक कमरे में सो गए थे। रात में मेरे अब्बा ने अम्मी से कहा कि एक कप चाय बना दो। अम्मी रसोई में चाय बना रही थी, तभी अब्बा ने उनकी कनपटी पर गोली मार दी। गोली की आवाज सुनकर मेरी दो बहनें जाग गईं। बड़ी बहन आफरीन की आवाज आई तो अब्बा ने उसको भी गोली मार दी। फिर छोटी बहन का गला घोंट दिया। मैं सोती रही, इसलिए मुझे नहीं मारा। अगली सुबह जब मैं उठी तो अम्मी और बहनें नहीं थीं। अब्बा ने कहा कि हमने शामली में प्लॉट लिया है, इसलिए वो वहां गए हैं। पुलिस ने जब गड्ढा खुदवाया, तब हमें पता चला कि अब्बा ने तीनों को मार दिया है। बच्चों के न एडमिशन, न आधार कार्ड…आखिर क्या सोचता था फारुख
इस घर का माहौल कैसा था, ये समझने के लिए हमने यहां अक्सर आने वाली दाई कलसुम से बात की। उन्होंने बताया- मैं जब भी घर आई, तब एक ही बात महसूस हुई कि फारुख घर चलाने के लिए कोई खर्च नहीं देता था। खूब लड़ाई होती थी। ताहिरा जब गर्भवती होती थी, तब भी उसकी पिटाई करता था। हमने पूछा- बुर्का न पहनने का विवाद क्या था? इस पर उन्होंने बताया– ताहिरा अपने मायके गई थी। वो बुर्का ओढ़कर नहीं गई। जब इंसान तंग होता है तो वो इन सब चीजों को नहीं देखता। हो सकता है कि ताहिरा भी उसी मानसिक हालत में बुर्का पहने बिना ही अपने मायके चली गई हो। ताहिरा बहुत नेकदिल थी। घर पर मौजूद कुनबे की अन्य महिलाओं ने बताया- फारुख अपने बीवी-बच्चों को घर से बाहर तक नहीं निकलने देता था। उसने आज तक किसी के भी आधार कार्ड नहीं बनवाए। उसे लगता था कि अगर पत्नी का आधार कार्ड बनवाएगा तो फोटो खिंचवाने के लिए बुर्का चेहरे से हटाना पड़ेगा। फारुख के कुल 5 बच्चे हैं। बड़ी बेटी की उम्र 14 साल थी। इसके बावजूद उसने आज तक किसी का भी एडमिशन नहीं कराया था। घर के सदस्य आज तक ये नहीं समझ पाए कि इस तरह का व्यवहार करने के पीछे फारुख की मंशा आखिर क्या थी? क्या वो पत्नी पर शक करता था? अगर ऐसा था, तो बच्चों को पढ़ाई से क्यों रोका था? इसी तरह के कई और सवाल हैं, जिनका जवाब बाकी है। ————————– ये खबर भी पढ़ें… शामली में बुर्का न पहनने पर पत्नी-दो बेटियों की हत्या, आंगन में दफनाया, बोला- दो को गोली मारी, एक का गला घोंटा यूपी के शामली में सनसनीखेज वारदात हुई है। बुर्का न पहनने पर एक व्यक्ति ने पत्नी और दो नाबालिग बेटियों की हत्या कर दी। फिर तीनों शवों को घर के आंगन में सेप्टिक टैंक में दफना दिया। पुलिस ने आरोपी को हिरासत में लेकर पूछताछ की तो उसने अपना जुर्म कबूल किया है। पढ़िए पूरी खबर…
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