सेक्टर-94 में सुपरनोवा में बचे काम और फ्लैट एवं दुकानों की रजिस्ट्री अब हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक आदेश में नोएडा प्राधिकरण को बिना बकाया लिए परियोजना के लिए कंप्लीशन सर्टिफिकेट जारी करने और रजिस्ट्री कराने के निर्देश दिए हैं। सुपरनोवा प्रोजेक्ट की निगरानी के लिए एक समिति गठित की गई है। इसमें जस्टिस एमएम कुमार (पूर्व सीजेआई, जेएंडके हाइकोर्ट) अध्यक्ष, डॉक्टर अनूप कुमार मित्तल कंस्ट्रक्शन व प्रोजेक्ट मैनेजमेंट विशेषज्ञ और वित्तीय प्रबंधन विशेषज्ञ राजीव मेहरोत्रा को शामिल किया गया है। समिति ही अब बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की भूमिका निभाएगी। बिल्डर से जुड़ा कोई बिडर नहीं होगा शामिल
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि समिति प्रस्ताव आमंत्रित करने और उचित जांच-पड़ताल के बाद परियोजना के अधूरे काम को पूरा करने के लिए एक नए बिल्डर को नियुक्त करेगी। इसमें समयबद्ध प्रस्ताव, ट्रैक रिकॉर्ड, अनुभव और ऐसे नए डेवलपर की वित्तीय व्यवहार्यता को ध्यान में रखा जाएगा। पीठ ने स्पष्ट किया है कि इस प्रक्रिया में कारपोरेट देनदार या पूर्व प्रबंधन से जुड़े या संबंधित किसी भी डेवलपर/बिल्डर को प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी। सभी प्राप्तियां, बिना बिकी इन्वेंट्री और खरीदारों से प्राप्त नया संग्रह एक एस्क्रो खाते में जमा किया जाना चाहिए और इसका उपयोग केवल निर्माण उद्देश्यों के लिए किया जाएगा। घर खरीदारों को मकान मिलने के बाद मिलेगा बकाया
समिति विभिन्न हितधारकों, जैसे कि बैंकों का कंसोर्टियम, अन्य वित्तीय लेनदार, घर खरीदार और नोएडा प्राधिकरण जैसे अधिकारियों के साथ सलाह-मशविरा करके काम करेगी। हालांकि, यह साफ कर दिया कमेटी का फैसला सभी पक्षों पर अंतिम और बाध्यकारी होगा। वकील गोविंद ने कहा कि पीठ ने साफ कर दिया है कि वित्तीय लेनदारों को देय बकाया के भुगतान के संबंध में एक जीरो पीरियड होगा और परियोजना पूरा होने और आवासीय इकाइयों को घर खरीदारों को सौंपने तक इन संस्थाओं को कोई भुगतान नहीं किया जाएगा। 3700 करोड़ से ज्यादा है बकाया
इस अवधि के दौरान, प्राधिकरण और वित्तीय लेनदार उन घर खरीदारों के खिलाफ कोई भी दंडात्मक कार्रवाई शुरू या जारी नहीं करेंगे, जिन्होंने अपने घर के लिए भुगतान किया है। सुपरनोवा में सबसे ऊंचा टावर एस्पायरा 72 मंजिल का बनना प्रस्तावित है, जिसमें 70 मंजिल तक निर्माण हो चुका है। इस परियोजना पर नोएडा प्राधिकरण के 30 सितंबर 2025 तक करीब 3751 करोड़ 60 लाख रुपए बकाया हैं। 1200 फ्लैट प्रस्तावित है।
इस परियोजना में करीब 1200 फ्लैट बनने प्रस्तावित हैं। बाकी दुकानें और ऑफिस हैं। अभी तैयार 582 फ्लैट में से 497 फ्लैट की रजिस्ट्री नहीं हो सकी है। खास बात है कि यह परियोजना चार फेज में पूरी होनी थी, लेकिन अब तक पहले और दूसरे चरण का भी काम पूरा नहीं हो सका है। कई साल से खरीदार फ्लैट के मालिकाना हक पाने का इंतजार कर रहे हैं।
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