नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेसवे क्षेत्र में 500 इलेक्ट्रिक बसें उतारने की महत्वाकांक्षी योजना फिलहाल अटक गई है। करीब 675 करोड़ रुपए की इस परियोजना को लेकर तीनों विकास प्राधिकरण नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यीडा ने स्पष्ट कहा है कि एक साथ इतनी बसों को सड़क पर उतारना फिलहाल संभव नहीं है। पहले फेज में 250 बसों को उतारा जाए और रिस्पांस चेक किया जाए तो बेहतर आप्शन होगा। इससे तीनों प्राधिकरण पर पड़ने वाला वायबिलिटी गैप फंडिंग (वीजीएफ) भी कम होगा। और हम बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर दे सकते है। अधिकारियों के अनुसार, नोएडा में 300, ग्रेटर नोएडा और यीडा में 100-100 बसें संचालित किया जाना है। लेकिन डिपो, चार्जिंग स्टेशन, रूट और संचालन के लिए एसपीवी का गठन अब तक नहीं हो सका है। प्राधिकरण के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि “इतनी बड़ी संख्या में बसों का एक साथ संचालन मौजूदा परिस्थितियों में अव्यवहारिक है। सरकार से आग्रह कर रहे है कि इसे फेज और वास्तविक मांग के अनुसार किया जाए। करीब छह महीने पहले ट्रैवल टाइम मोबिलिटी इंडिया और डेलबस मोबिलिटी को 12 साल के ग्रॉस कॉस्ट मॉडल पर बसें सप्लाई, ऑपरेट और मेंटेन करने के लिए चयनित किया जा चुका है। लेकिन जीबीएन ग्रीन ट्रांसपोर्ट लिमिटेड नाम की जिस संयुक्त एसपीवी के जरिए सेवा चलाई जानी है, वह अब तक नहीं बन सकी है। एसपीवी न होने के कारण कंपनी के साथ अंतिम समझौता तक नहीं हो सका है। रिपोर्ट भेजने की तैयारी में प्राधिकरण अधिकारियों ने बताया कि अब राज्य सरकार को यह निर्णय लेना होगा कि मौजूदा टेंडर में बदलाव कर कम बसों से शुरुआत की जाए या फिर नया टेंडर जारी किया जाए। तीनों प्राधिकरण अपनी-अपनी मांग और क्षमता का आकलन कर सरकार को रिपोर्ट भेजने की तैयारी में हैं। रिपोर्ट जाने के बाद शासन ही फैसला लेगा। बता दे ये बस नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट को भी कनेक्ट करती। बड़े राजस्व को होगा नुकसान
500 बसों के मॉडल पर सालाना 225 करोड़ रुपए वीजीएफ की जरूरत होगी, जिसमें अकेले नोएडा प्राधिकरण को 107 करोड़ रुपए से अधिक वहन करने होंगे। अधिकारियों का कहना है कि बिना मांग और सिस्टम तैयार हुए इतनी बड़ी वित्तीय जिम्मेदारी लेना जोखिम भरा होगा। इस तरह, पूरी परियोजना का भविष्य अब राज्य सरकार के फैसले पर टिका है कि वह इसे चरणबद्ध रूप में आगे बढ़ाएगी या पूरे मॉडल को फिर से डिजाइन किया जाएगा। इन्फ्रास्ट्रक्चर में लगेगा समय
इन्फ्रास्ट्रक्चर की स्थिति भी दुरुस्त नहीं है। नोएडा के सेक्टर 82 और 91 में प्रस्तावित टर्मिनल में चार्जिंग पॉइंट लगाने की जरूरत है। जबकि ग्रेटर नोएडा और यीडा के पास फिलहाल कोई डिपो ही नहीं है। बॉटनिकल गार्डन इंटरचेंज पर भी अतिरिक्त चार्जिंग और ऑपरेशनल सुविधाओं की आवश्यकता है।
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