गाजियाबाद के मसूरी थाना क्षेत्र के समयपुर गांव में बीते दो माह से लापता 10 वर्षीय मासूम लविश की खोज का इंतज़ार अब दर्दनाक अंत पर थम गया। सोमवार सुबह नूरपुर गांव के जंगल में झाड़ियों के बीच मिला नरकंकाल परिजनों को उस बेटे तक ले गया। पहचान खून से सनी टी-शर्ट और अंडरवियर से हुई। उसी क्षण मां सीमा की दुनिया जैसे थम गई। उन्होंने कहा-ये मेरे बेटे के कपड़े हैं… यही लविश है। लविश के भाई सागर ने बताया कि उसका छोटा भाई 3 नवंबर को दोपहर करीब 2.30 बजे घर से निकला था, फिर कभी वापस नहीं लौटा। परिवार ने उसे हर जगह तलाशा। एक के बाद एक राज्यों तक खोज हुई। थानों में चक्कर लगे पर जिस जंगल से कंकाल मिला, वहां कभी नहीं देखा गया। कारण सिर्फ इतना कि किसी को ये कल्पना भी ना थी कि मासूम वहां तक जाएगा। यह जगह गांव से करीब आधा किलोमीटर दूर है। लविश परिवार का सबसे छोटा बेटा था। पिता का निधन लविश के जन्म से पांच महीने पहले कैंसर से हो गया। घर की जिम्मेदारी मां सीमा और बड़े भाई सागर पर आ गई। मां सीमा खुद भी काम करती हैं, ताकि घर का गुजारा चल सके। परिवार में चार बहनें हैं, दो की शादी हो चुकी है। दो अभी पढ़ाई कर रही हैं। लविश सबसे चहेता था। घर की रौनक था। उसके लापता होने के बाद परिवार के घर में चूल्हा तक ठीक से नहीं जला। सीमा कई दिनों तक ठीक से खा भी नहीं पाईं। गांव के निवासी सतीश प्रधान ने कहा, “लविश हमारे भतीजे जैसा था। बहुत सीधा-साधा और हंसने वाला बच्चा। पूरे गांव को लगता रहा कि शायद गुस्से में कहीं चला गया होगा और लौट आएगा पर अब सिर्फ उसकी यादें ही रह गई हैं। SHO अजय चौधरी ने बताया कि कंकाल को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है। डीएनए जांच होगी। उसकी रिपोर्ट से मृत्यु का कारण स्पष्ट हो सकेगा।
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