रिश्वतखोरी के आरोप में 11 नवंबर को निलंबित किए गए जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) अतुल कुमार तिवारी ने अपने निलंबन को रद्द कर बहाली की मांग को लेकर लखनऊ उच्च न्यायालय की खंडपीठ में याचिका दायर की है। इस मामले में 28 नवंबर से लगातार सुनवाई चल रही है, जिसमें 2, 4 और 8 दिसंबर को भी सुनवाई हुई, लेकिन अभी तक तिवारी को उच्च न्यायालय से कोई राहत नहीं मिली है। 8 दिसंबर को हुई सुनवाई के दौरान, न्यायालय ने सरकार के रवैये पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की। जस्टिस मनीष माथुर की खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार को बुधवार तक पूरे मामले का स्पष्ट ब्योरा दाखिल करने का अंतिम अवसर दिया है। न्यायालय ने टिप्पणी की कि बार-बार ब्योरा मांगे जाने के बावजूद अधूरा विवरण प्रस्तुत किया जा रहा है। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि यदि बुधवार तक सही और पूर्ण ब्योरा दाखिल नहीं किया जाता है, तो उसे मजबूरन उसी दिन मामले में निर्णय लेना होगा। यह निर्देश सरकार की ओर से बार-बार ब्योरा देने में देरी और अपूर्ण जानकारी प्रस्तुत करने के बाद आया है। इससे पहले, 28 नवंबर को जस्टिस मनीष माथुर की खंडपीठ ने ही उत्तर प्रदेश सरकार और शिक्षा विभाग को इस मामले में विस्तृत ब्योरा दाखिल करने का निर्देश दिया था। हालांकि, सरकार ने शुरुआती दो सुनवाइयों में ब्योरा दाखिल नहीं किया और 8 दिसंबर को सुनवाई के दौरान अपना विवरण प्रस्तुत किया। न्यायालय ने सरकार द्वारा दाखिल किए गए ब्योरे को अस्पष्ट पाया, जिसके कारण यह नाराजगी व्यक्त की गई और बुधवार तक स्पष्ट ब्योरा मांगा गया। यह मामला शिकायतकर्ता मनोज कुमार पांडेय द्वारा लगाए गए आरोपों से संबंधित है। पांडेय ने आरोप लगाया है कि अतुल कुमार तिवारी ने स्कूलों में फर्नीचर आपूर्ति के टेंडर प्रक्रिया के नाम पर उनसे 22 लाख रुपये की रिश्वत ली थी। रिश्वत लेने के बावजूद, उन्हें काम नहीं दिया गया और उनकी फर्म को ब्लैकलिस्ट कर दिया गया। इसके बाद, तिवारी ने गलत आरोप लगाकर उनके खिलाफ नगर कोतवाली में मुकदमा दर्ज करवाया। 1/2 जिसको लेकर अतुल समेत 3 लोगों पर नगर कोतवाली में मुकदमा भी दर्ज है। इसी मामले में शासन ने इन्हें 11 नवंबर को निलंबित किया था इनके खिलाफ विभागीय जांच भी चल रही है। इसी निलंबन को वापस लिए जाने की मांग करते हुए हाईकोर्ट अतुल कुमार तिवारी गए हैं।
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