गोरखपुर में पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण के प्रस्ताव के खिलाफ बिजली कर्मचारियों का आंदोलन 366वें दिन भी जारी रहा। संघर्ष समिति ने साफ कहा कि निजीकरण का फैसला वापस होने तक विरोध रुकने वाला नहीं है। आंदोलन दूसरे वर्ष में प्रवेश कर चुका है और अब इसे किसान व उपभोक्ताओं के साथ मिलकर और व्यापक रूप दिया जाएगा। संघर्ष समिति के पदाधिकारियों पुष्पेन्द्र सिंह, जीवेश नंदन, जितेन्द्र कुमार गुप्त, सीबी उपाध्याय, प्रभुनाथ प्रसाद, संगमलाल मौर्य, इस्माइल खान, संदीप श्रीवास्तव, करुणेश त्रिपाठी, ओम गुप्ता, राजकुमार सागर, विजय बहादुर सिंह और राकेश चौरसिया ने बताया कि निजीकरण के विरोध में उन्हें देशभर से समर्थन मिल रहा है। समिति का कहना है कि किसान और उपभोक्ताओं को साथ लेकर संघर्ष को निर्णायक रूप देने की तैयारी पूरी हो रही है। गलत आंकड़ों पर आधारित निजीकरण योजना पर आपत्ति समिति ने आरोप लगाया कि पॉवर कारपोरेशन प्रबंधन 42 जिलों में निजीकरण लागू करने के लिए गलत और अप्रमाणित आंकड़ों का सहारा ले रहा है। संघर्ष समिति ने कहा कि पॉवर कारपोरेशन द्वारा पेश घाटे के आंकड़े पहले ही विद्युत नियामक आयोग द्वारा अस्वीकार किए जा चुके हैं। ऐसे में इन्हीं आंकड़ों पर तैयार किया गया आरएफपी दस्तावेज स्वतः अवैध हो जाता है और इसे तुरंत निरस्त किया जाना चाहिए। जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की जरूरत संघर्ष समिति ने मांग की कि झूठे आंकड़ों के आधार पर आरएफपी तैयार करने वाले तत्कालीन निदेशक वित्त तथा संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। समिति ने बताया कि आंदोलन दूसरे वर्ष में प्रवेश कर चुका है और अब इसे और तेज करने के लिए विस्तृत कार्यक्रम अगले सप्ताह घोषित किए जाएंगे। इससे प्रदेशभर में आंदोलन की रणनीति और मजबूत होगी। आज 366वें दिन भी वाराणसी, आगरा, मेरठ, कानपुर, गोरखपुर, मिर्जापुर, आजमगढ़, बस्ती, अलीगढ़, मथुरा, एटा, झांसी, बांदा, बरेली, देवीपाटन, अयोध्या, सुल्तानपुर, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर, नोएडा, गाजियाबाद और मुरादाबाद सहित सभी जिलों में बिजली कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन जारी रखा।
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