बरेली के भोजीपुरा क्षेत्र में एक परिवार को बेटी के निकाह की दावत में हिंदू समाज के लोगों को आमंत्रित करना महंगा पड़ गया। आरोप है कि इस पहल से नाराज कुछ मौलानाओं और इमामों ने फतवा जारी कर मुस्लिम समाज के लोगों को दावत में शामिल होने से रोका, जिससे लाखों रुपये का नुकसान हुआ। मोहम्मदपुर जाटान गांव निवासी ताहिर अली ने बताया कि उनकी बेटी फिजा का निकाह 3 दिसंबर को हुआ था। उन्होंने सामाजिक सौहार्द बढ़ाने के लिए 1 दिसंबर को हिंदू समाज के लोगों के लिए और 2 दिसंबर को मुस्लिम समाज के लोगों के लिए दावत का आयोजन किया था। ताहिर का आरोप है कि कुछ मौलानाओं और इमामों ने व्हाट्सएप के जरिए ऑडियो संदेश जारी कर सुन्नी समाज के लोगों को दावत में शामिल न होने की हिदायत दी। जानबूझकर दो समुदायों के बीच तनाव पैदा करने की कोशिश ताहिर अली के अनुसार, गांव की कुछ मस्जिदों से जुड़े इमामों और लगभग 60 लोगों ने मिलकर एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया। इसी ग्रुप के माध्यम से कथित तौर पर फतवा जारी किया गया। इसके परिणामस्वरूप, मुस्लिम समाज के लोग दावत में नहीं पहुंचे, जिससे तैयार किया गया भोजन बर्बाद हो गया और उन्हें लगभग छह लाख रुपये का आर्थिक नुकसान हुआ। पीड़ित ताहिर अली ने कहा कि उन्होंने किसी भी धार्मिक नियम का उल्लंघन नहीं किया। उनका उद्देश्य समाज में भाईचारे और आपसी मेल-जोल का संदेश देना था। उन्होंने इस घटना को एक साजिश बताते हुए आरोप लगाया कि जानबूझकर दो समुदायों के बीच तनाव पैदा करने की कोशिश की गई है। इस मामले की शिकायत आईजीआरएस पोर्टल और एसएसपी कार्यालय में की गई है। भोजीपुरा इंस्पेक्टर ने जांच शुरू कर दी है। पुलिस ने बताया कि सभी आरोपों की निष्पक्ष जांच की जाएगी और तथ्यों के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। घटना के बाद गांव में स्थिति सामान्य बताई जा रही है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि क्षेत्र में हिंदू-मुस्लिम भाईचारे की पुरानी परंपरा रही है और आम लोग आपसी सद्भाव बनाए रखना चाहते हैं।
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