श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने राम मंदिर के शिखर पर लगने वाले ध्वज को लेकर महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। ट्रस्ट के न्यासी डॉ. अनिल मिश्र ने बताया कि अब राम मंदिर के शिखर का ध्वज वर्ष में दो बार बदला जाएगा। यह परंपरा चैत्र नवरात्र और शारदीय नवरात्र में निभाई जाएगी। दोनों नवरात्रों के बीच करीब छह महीने का अंतर रहेगा। ट्रस्ट का मानना है कि इससे धार्मिक परंपरा के साथ-साथ ध्वज की सुरक्षा और गरिमा भी बनी रहेगी। डॉ. अनिल मिश्र के अनुसार, राम मंदिर के शिखर पर ध्वजारोहण की तकनीक को स्थायी स्वरूप दिया जा रहा है। यह तकनीक भारतीय सेना और रक्षा मंत्रालय के विशेषज्ञों के नवोन्मेष से तैयार की गई है। इसी तकनीक को भविष्य में परिसर स्थित अन्य मंदिरों में भी अपनाने की योजना है। हालांकि फिलहाल शेषावतार मंदिर और परकोटे के सभी मंदिरों में इस तकनीक से ध्वजारोहण का ट्रायल शुरू नहीं हुआ है। इधर, राम मंदिर में रामलला के प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव की दूसरी वर्षगांठ 31 दिसंबर को ‘प्रतिष्ठा द्वादशी’ के रूप में मनाई जाएगी। इस अवसर पर तीन दिवसीय भव्य समारोह का आयोजन किया गया है, जबकि धार्मिक अनुष्ठान और सांस्कृतिक कार्यक्रम कुल पांच दिनों तक चलेंगे। रामलला के मंडल पूजन का अनुष्ठान 27 दिसंबर से शुरू होगा, जो तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के न्यासी जगद्गुरु माध्वाचार्य स्वामी विश्व प्रसन्न तीर्थ के निर्देशन में संपन्न होगा। वहीं 29 दिसंबर से जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी राम दिनेशाचार्य के श्रीमुख से रामकथा का आयोजन किया जाएगा। 31 दिसंबर को होगा परकोटा के मंदिरों पर ध्वजारोहण समारोह के दौरान 31 दिसंबर तक शेषावतार मंदिर और परकोटे के सभी मंदिरों में भी ध्वजारोहण की तैयारियां चल रही हैं। मंदिरों के ऊपर ध्वजदंड लगाएं जा रहे है । कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह होंगे। वे मुख्य यजमान के रूप में राम मंदिर के द्वितीय तल पर स्थापित होने वाले रामनाम मंदिर और श्रीराम यंत्र की प्रतिष्ठा में भाग लेंगे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद रहेंगे। टाटा कंसल्टेंसी के परियोजना निदेशक बी.के. शुक्ल ने बताया कि राम मंदिर के शिखर की ऊंचाई ध्वज दंड सहित 191 फीट है। वहीं परकोटे के सभी छह मंदिरों के शिखर की ऊंचाई करीब 80 से 90 फीट और शेषावतार मंदिर के शिखर की ऊंचाई ध्वज दंड सहित लगभग 70 से 75 फीट है। उन्होंने बताया कि सभी मंदिरों में ध्वजारोहण का कार्य श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के माध्यम से ही कराया जा रहा है।
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