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नगर निगम ने मेट्रो पर लगाया 7.50 लाख का जुर्माना:मेट्रो निर्माण के दौरान धूल उड़ने से रोकने के इंतजाम फेल, बढ़ रहा प्रदूषण

आगरा में मेट्रो निर्माण के दौरान निर्माण स्थलों पर मिट्टी की खोदाई, मिट्टी के ढेर, पाइल फाउंडेशन वर्क और डिवाइडर तोड़ने से भारी मात्रा में धूल उड़ रही है। बैरिकेडिंग के अंदर पड़ी मिट्टी को न तो ग्रीन से ढका गया और न ही यहां नियमित पानी का छिड़काव किया जा रहा। पेड़-पौधों पर भी धूल की मोटी परत जम रही है।
निर्माण स्थलों पर पानी का छिड़काव भी ठीक से नहीं हो रहा। इसकी वजह से वायु प्रदूषण को खतरा बढ़ रहा है। इसको देखते हुए नगर निगम ने उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (UPMRC) पर 7.50 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। इन नियमों की अनदेखी
आगरा मेट्रो परियोजना के निर्माण स्थलों पर निर्माण एवं विध्वंस अपशिष्ट प्रबंधन नियमों की अनदेखी और धूल प्रदूषण नियंत्रण में लापरवाही अब भारी पड़ने लगी है। नगर निगम आगरा ने कंस्ट्रक्शन एंड डिमोलिशन वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स–2016 और सीपीसीबी की डस्ट मिटिगेशन गाइडलाइन्स का पालन न किए जाने पर UPMRC पर जुर्माना लगाया है। परियोजना प्रबंधक को भेजा लेटर नगर निगम के अधिशासी अभियंता द्वारा UPMRC के परियोजना प्रबंधक को लेटर भेजा गया है। जिसमें बताया गया है कि यह कार्रवाई उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय आगरा की रिपोर्ट के आधार पर की गई है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों ने 8 दिसंबर 2025 को आगरा मेट्रो के विभिन्न नव-निर्माणाधीन एवं एलिवेटेड मेट्रो स्थलों का निरीक्षण किया था।
निरीक्षण के दौरान पाया गया कि निर्माण स्थलों पर मिट्टी की खुदाई, मिट्टी के ढेर, पाइल फाउंडेशन वर्क और डिवाइडर तोड़ने जैसे कार्यों से भारी मात्रा में धूल उड़ रही है। ये मिली थीं कमियां
निरीक्षण रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया कि कई स्थानों पर बैरिकेडिंग के अंदर पड़ी मिट्टी को ग्रीन नेट से ढका नहीं गया, बैरिकेडिंग अधूरी थी और सड़क पर धूल फैल रही थी। पेड़-पौधों की पत्तियों पर धूल की मोटी परत जमी हुई पाई गई, लेकिन पत्तियों पर पानी के छिड़काव की कोई व्यवस्था नहीं थी। इसके साथ ही निर्माण स्थलों पर वॉटर स्प्रिंकलिंग, एंटी-स्मॉग गन, व्हील वॉशिंग सिस्टम और मैकेनिकल स्वीपिंग मशीनों का नियमित और पूर्ण संचालन भी नहीं हो रहा था। दोबारा किया निरीक्षण इसके बाद 15 दिसंबर 2025 को नगर निगम द्वारा पुनः निरीक्षण किया गया, जिसमें स्थिति लगभग पहले जैसी ही पाई गई। इसके चलते यह निष्कर्ष निकाला गया कि कार्यदायी संस्थाओं द्वारा लगातार नियमों की अवहेलना की जा रही है। नगर निगम ने इसे एनजीटी अधिनियम 2010 की धारा 15 एवं 16 का उल्लंघन मानते हुए अर्थदंड की कार्रवाई की।


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