सोनभद्र में करीब साढ़े 16 साल पुराने उमेश चौधरी हत्याकांड मामले में कोर्ट ने फैसला सुनाया है। अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम जीतेंद्र कुमार द्विवेदी की अदालत ने नक्सली संरक्षणकर्ता संत कुमार चेरो को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। उस पर 20 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया गया है। अदालत ने यह भी आदेश दिया कि अर्थदंड न देने पर दोषी को चार माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। जेल में बिताई गई अवधि को सजा में समायोजित किया जाएगा। वहीं, इस मामले में तीन अन्य आरोपी नक्सलियों अनिल ठाकुर, लालब्रत कोल और मुन्ना विश्वकर्मा को साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त कर दिया गया। अभियोजन पक्ष के अनुसार, यह मामला 25 जनवरी 2009 को दीनानाथ चौधरी पुत्र स्वर्गीय रामपति निवासी कन्हौरा, थाना चोपन, सोनभद्र द्वारा थानाध्यक्ष चोपन को दी गई तहरीर से शुरू हुआ था। दीनानाथ ने बताया था कि 24 जनवरी 2009 की शाम उनके बेटे उमेश चौधरी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। तहरीर में कहा गया था कि 24 जनवरी की शाम 7 बजे संत कुमार चेरो और बाबा चेरो (दोनों पुत्र तेजबली, निवासी कन्हौरा) दीनानाथ की परचून की दुकान पर आए। उन्होंने दुकान पर बैठी उनकी पत्नी चंचला को 50 रुपये का बकाया दिया और फिर उधार सामान मांगने लगे। जब पत्नी ने इनकार किया, तो वे जबरन कुर्सी उठाकर ले जाने लगे। इस पर दीनानाथ के बेटे उमेश चौधरी ने उन्हें रोका, मारपीट कर कुर्सी छुड़ा ली और उन्हें भगा दिया। करीब एक घंटे बाद, रात 8 बजे, दोनों आरोपी फिर आए और उमेश चौधरी को बुलाकर कुछ दूर ले गए, जहां उसे गोली मार दी। गोली की आवाज सुनकर जब दीनानाथ कुछ लोगों के साथ मौके पर जाने लगे, तो संत कुमार चेरो की मां ने उन्हें रोक दिया। बाद में मौके पर पहुंचने पर उमेश का शव पड़ा मिला। इस तहरीर के आधार पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर मामले की विवेचना शुरू की। विवेचना के दौरान पर्याप्त सबूत मिलने पर विवेचक ने नक्सली संरक्षणकर्ता संत कुमार चेरो, उसके भाई बाबा, नक्सली अनिल ठाकुर, नक्सली लालब्रत कोल और नक्सली मुन्ना विश्वकर्मा के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। आरोपी बाबा पुत्र तेजबली चेरो के गायब होने के कारण उसकी पत्रावली अलग कर दी गई थी। अदालत ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों को सुना, आठ गवाहों के बयान दर्ज किए और पत्रावली का अवलोकन करने के बाद संत कुमार चेरो को दोषी पाया और उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई। कोर्ट ने उसके ऊपर 20 हजार रुपये अर्थदण्ड भी लगाया है। अर्थदंड न देने पर 4 माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी।
जेल में बितायी अवधि सजा में समाहित होगी। वहीं तीन नक्सलियों अनिल ठाकुर, लालब्रत कोल व मुन्ना विश्वकर्मा को साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त करार दिया गया।अभियोजन पक्ष की ओर से सरकारी वकील विनोद कुमार पाठक ने बहस की।
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