प्रतिष्ठित कंपनी टाटा के नमक का डुप्लीकेट बेचने वाले गोरखपुर के व्यापारी का लाइसेंस निलंबित हो सकता है। मंडल की सबसे बड़ी किराना मंडी साहबगंज में लवकुश प्रसाद की दुकान से 225 किलोग्राम नमक पकड़ा गया था। यह नमक टाटा कंपनी के नकली पैकेट में भरकर बेचा जा रहा था। इसका सैंपल जांच के लिए भेजा गया है। यह स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक भी हो सकता है। खाद्य सुरक्षा विभाग की ओर से दुकानदार को नोटिस जारी किया जा चुका है। राजघाट थाने की पुलिस ने टाटा कंपनी के प्रतिनिधि की शिकायत पर उनके साथ लवकुश प्रसाद की दुकान पर 12 नवंबर को छापा मारा था। इसमें बड़े पैमाने पर नकली टाटा नमक पकड़ा गया। कापीराइट एकट के तहत इस मामले में मुकदमा भी दर्ज किया गया है। दो महीने पहले भी बरामद हुआ था नकली नमक दो महीने पहले भी कोतवाली क्षेत्र में बड़े पैमाने पर टाटा नमक का नकली पैकेट बरामद किया गया था। स्थानीय स्तर से ही नकली पैकेट में पैक कर नमक को बेचा जा रहा था। इधर नवंबर में भी एक और खेप पकड़े जाने के बाद इस आशंका को बल मिला है कि बड़े पैमाने पर गोरखपुर में नकली सामानों का धंधा किया जा रहा है। जालसाज ब्रांडेड कंपनियों की पैकिंग छपवा रहे हैं और लोकल नमक भरकर उसे बेच रहे हैं। इसी तरह गोरखपुर में फेवीक्विक का नकली माल पकड़ा गया था। तह तक जाएगा खाद्य सुरक्षा विभाग दो महीन के अंतराल पर दो खेप नकली माल पकड़े जाने के बाद इस बात की संभावना बढ़ गई है कि स्थानीय स्तर पर इसकी पैकिंग की जा रही है। इसको लेकर खाद्य सुरक्षा विभाग विशेष जांच करेगा।
सहायक आयुक्त डा. सुधीर कुमार सिंह ने कहा कि लोगों की सेहत से खिलवाड़ करने वालों के खिलाफ लगातार कार्रवाई की जा रही है। लोग जागरूक रहें और कहीं भी संदिग्ध खाद्य सामग्री मिले तो तत्काल इसकी शिकायत करें। मछली में मिलावट पर खाद्य सुरक्षा विभाग ने किया सतर्क मछली को सड़ने और दुर्गंध से बचाने के लिए इन दिनों केमिकल की मिलावट की जा रही है। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वह मछली खरीदने में सावधानी बरतें। पिछले दिनों महेवा मंडी में मछली के नमूने में फार्मेलिन की पुष्टि हुई थी।
महेवा मंडी में तकरीबन ढाई सौ क्विंटल मछली की बिक्री होती है। इसके अलावा जिले के अन्य स्थानों से भी भारी मात्रा में मछली बेची जाती है। डाॅ. सुधीर कुमार सिंह ने बताया कि मिलावटखोर मछली को लंबे समय तक ताजा दिखाने के लिए अवैध रूप से फार्मेलिन व फार्मेल्डिहाइड मिलाते हैं। यह कैंसरकारी है और भोजन में प्रतिबंधित है। सड़ी मछली की बदबू छिपाने के लिए अमोनिया या अमोनियम यौगिक का इस्तेमाल किया जाता है। मछली को सफेद, चमकदार और ताजा दिखाने के लिए हाइड्रोजन पराक्साइड का इस्तेमाल किया जाता है। सोडियम बेंजोएट, पुरानी मछली को धुलकर ताजा जैसा दिखाने के लिए क्लोरिन युक्त पानी, मछली का वजन बढ़ाने के लिए उसमें इंजेक्शन के माध्यम से पानी डाला जाता है। मछली को गंदे पानी से बने बर्फ में रखा जाता है। इससे माइक्रोबियल संक्रमण बढ़ता है। मछली को चमकदार व सख्त दिखाने के लिए जेल या चिपचिपा पदार्थ लगाया जाता है। मिलावटी मछली खाने से आंख, नाक, गले में जलन, उल्टी, दस्त, पेट दर्द, लिवर व किडनी पर असर पड़ता है। बच्चों व बुजुर्गों में अधिक जोखिम है। त्वचा एलर्जी, सांस की समस्या भी हो सकती है। डा. सुधीर कुमार सिंह ने कहा कि मछली में बिल्कुल बदबू न होना, अत्यधिक चमक या बहुत सख्त मांस होना, मछली की आंखें धंसी या कल्ले भूरे होना, मांस दबाने पर वापस न उछले तो खाने योग्य नहीं मानी जाती है।
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