अयोध्या के राम मंदिर में 25 नवंबर को ध्वजारोहण होगा। पीएम मोदी राम मंदिर पर ध्वजारोहण करेंगे। ध्वज का पूजन वेदोक्त सूक्त से कर अनेक प्रकार औषधियों से स्नान कराया जाएगा। इसके बाद यजमान के रूप में पीएम नरेंद्र मोदी को ध्वज फहराने के लिए सौंपा जाएगा। पंचायतन मंदिर के देवताओं के मंत्रों से भी आहुतियां डाली जाएंगी वेद मूर्ति आचार्य रवीन्द्र ने बताया कि मंदिर में पंचायतन के अन्तर्गत जितने भी देवी-देवता हैं, उनमें भी दिव्य शक्तियों व दिव्य कलाओं की अभिवृद्धि का भी यह अनुष्ठान है। उन्होंने बताया कि इसीलिए अलग-अलग देवता के वेदोक्त सूक्त का पहले पारायण होगा। पारायण की निर्धारित संख्या पूर्ण होने पर दशांश हवन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि कुल दस लाख आहुतियां दी जानी है। इनमें राम मंदिर के प्रधान देवता रामलला के मंत्रों से सवा लाख आहुतियां दी जाएंगी। इसी तरह अलग देवी देवता के मंत्र के साथ आहुतियां दी जाएंगी। राम मंदिर में पांच दिवसीय अनुष्ठान शुरू हो चुका है ध्वजारोहण से पहले शुक्रवार को राम मंदिर में पांच दिवसीय अनुष्ठान शुरू हो गया। सुबह सुबह श्रीराम जन्मभूमि परिसर में यज्ञमंडप में बने सभागार में सबसे पहले पंचांग पूजन गणपति पूजन व नवग्रह पूजन के उपरांत यज्ञ मंडप प्रवेश, वेदी पूजन व आचार्य वरण का कर्म कांड पूरा किया गया। इसके बाद वैदिक आचार्यों के द्वारा चतुर्वेद के अलावा विविध दिव्य ग्रंथों का पारायण शुरू हुआ। अग्नि कुंड में अग्नि देव का प्राकट्य हो चुका पहले दिन के अनुष्ठान के बाद मुख्य यजमान व तीर्थ क्षेत्र के न्यासी डॉ. अनिल मिश्र ने बताया कि अग्नि कुंड में अग्नि देव का प्राकट्य हो चुका है और आहुतियों को डालने का भी क्रम शुरू हो गया है। इस कार्यक्रम में यजमान के रूप में नव नियुक्त न्यासी एवं सेवानिवृत्त आईआरएस अधिकारी कृष्ण मोहन के अलावा तीर्थ क्षेत्र महासचिव चंपत राय, मंदिर निर्माण प्रभारी गोपाल राव व अन्य मौजूद रहे। इससे पहले दोपहर में यज्ञकुंड में अरणि मंथन के द्वारा अग्नि प्रज्वलित कर आहुतियां डालने का क्रम भी शुरू हो गया। इस अनुष्ठान के सभी कर्म कांड वेद मूर्ति आचार्य चंद्र भानु शर्मा व उपाचार्य नासिक महाराष्ट्र के वेद मूर्ति आचार्य रवीन्द्र पैठाढ़े के निर्देशन में वैदिक आचार्यों ने संपादित कराया गया। वहीं रामलला के पूजन के साथ राम दरबार व शेषावतार मंदिर सहित परकोटे के सभी छह मंदिरों मां दुर्गा, मां अन्नपूर्णा, भगवान शिव, गणपति, सूर्यदेव व हनुमान जी के समक्ष भी अलग-अलग पूजन किया गया। इस अनुष्ठान के उपाचार्य नासिक महाराष्ट्र के वेद मूर्ति आचार्य रवीन्द्र पैठाढ़े ने बताया कि ध्वजारोहण का तात्पर्य है कि मंदिर की परिपूर्णता है।
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