मेरठ में जैसे जैसे ठंड बढ़ रही है इसका असर लोगों के जीवन को प्रभावित कर रहा है। इस कारण न सिर्फ विजिबिलिटी और अन्य चीजों पर असर है बल्कि यह लोगों की मानसिक स्थिति भी बिगाड़ रहा है। मेरठ के मेडिकल अस्पताल में तैनात मनोचिकित्सक डॉ तरुण पाल ने इस मौसम में जुड़ी किस किस समस्या के मरीज आ रहे है इस बारे में दैनिक भास्कर से बात की।……. धूप का सीधा असर मूड पर डॉ तरुण पाल ने बताया कि हमारे शरीर की गतिविधि हमारे हार्मोंस पर निर्भर होती है , जिसके साथ हमारे मूड का सीधा रिश्ता होता है। जब हमारे हार्मोन्स को पर्याप्त धूप नहीं मिलती तो वह पूर्ण रूप से सक्रिय नहीं होती है। इस कारण फिर हमारा शरीर भी सुस्ती महसूस करता है। व्यवहार में बदलाव को न समझे आम डॉ ने बताया कि कुछ लोग ऐसे होते है जिनके व्यहवार में खास तौर पर दिसंबर से मार्च तक बदलाव आने लगते हैं। इसमें चिड़चिड़ापन, नींद न आना, सुस्ती छाई रहना आदि शामिल होते हैं। कुछ लोग इन्हें ठंड के कारण शरीर का सक्रिय न होना समझ लेते है लेकिन अगर ये ज्यादा मात्रा में है तो यह निश्चित तौर पर एक बीमारी का संकेत है। परिजनों की अहम भूमिका इस मौसम में होने वाली जिस बीमारी को हम सीजनल डिसऑर्डर के नाम से जानते है इसमें परिजनों या तीमारदारों की सक्रियता बहुत अहम होती है। कुछ लोग खास तौर पर गांव देहात के इसमें कुछ घरेलू या अपने और से ही निजात किए गए कार्य करने की सलाह देते हैं लेकिन जो लोग सक्रिय होते है वे इसमें चिकित्सक की सलाह लेते है और बहुत कम समय में कुछ दवाओं और काउंसलिंग से मरीज ठीक हो जाता है।
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