इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आजीवन कारावास से दंडित अभियुक्त के ज़मानत पर फरार होने पर सख्त रुख अपनाते हुए उसकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस को हर संभव प्रयास कर उसे हर हाल में अदालत में पेश करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने प्रयागराज के पुलिस आयुक्त से कहा कि वारंट का पालन अभियुक्त की मृत्यु या देश छोड़कर भाग जाने के अलावा हर हाल में होना चाहिए।
कोर्ट ने पुलिस के प्रयासों पर असंतोष व्यक्त करते हुए कहा कि भगोड़ा देश के किसी भी हिस्से में या चाहे कितना भी दूर क्यों न छिपा हो, उसे न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए। यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर व न्यायमूर्ति संजय कुमार की खंडपीठ ने दिया है। याची मौलाना खुर्शीद जमील कादरी के खिलाफ धूमनगंज थाने में हत्या व डकैती के आरोप में मुकदमा दर्ज था। ट्रायल कोर्ट ने 1984 में उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई। मौलाना ने सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की।
अपील में जमानत के बाद से वह लापता है। पुलिस उसका कोई पता नहीं लगा पा रही है।हाईकोर्ट ने याची के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था। कार्यालय रिपोर्ट में बताया गया कि याची प्रयागराज छोड़कर जा चुका है और उसका स्थायी पता मुजफ्फरपुर का है। कोर्ट ने जमानतदारों की भी तलाश करने को कहा था। साथ ही प्रयागराज के पुलिस आयुक्त को याची का पता लगाने के लिए बिहार या किसी अन्य राज्य के अपने समकक्षों से संपर्क साधने का निर्देश दिया था।
पुलिस ने बताया कि याची के दोनों जमानतदारों की मृत्यु हो चुकी है। यह भी बताया कि भगोड़ा मौलाना हंडिया में रहकर वहां के मुस्लिम बच्चों को अरबी पढ़ाता था, जिसका वहां कोई स्थायी पता नहीं था। गांव के लोग उसे बिहार का निवासी बताते हैं। इन रिपोर्ट के बावजूद कोर्ट ने असंतोष व्यक्त करते हुए कहा कि गैर जमानती वारंट का तामील सिर्फ दो कारणों से नहीं होगा।
व्परहला अभियुक्त की मृत्यु हो चुकी हो और दूसरा वह देश छोड़कर भाग गया है। अन्यथा उसे हाजिर किया जाए। कोर्ट ने पुलिस आयुक्त को आदेशों का पालन करने और आगे की रिपोर्ट 11 दिसंबर को प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
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