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‘दूसरी शादी छिपाने पर लखनऊ में पार्षदी गंवाई’:नवनिर्वाचित पार्षद ललित बोले, प्रदीप ने कहा- निचली अदालत में नहीं सुनी जाएगी बात तो HC जाएंगे

लखनऊ नगर निगम के वार्ड-83 फैजुल्लागंज तृतीय के भाजपा पार्षद प्रदीप कुमार शुक्ला का निर्वाचन रद्द हो गया है। उपविजेता रहे सपा के ललित किशोर तिवारी पार्षद बन गए हैं। ललित किशोर को लगातार बधाइयां मिल रही हैं। लड्‌डू बांटे जा रहे हैं। यह मामला चर्चा का विषय बना हुआ है।
दैनिक भास्कर ने इस पूरे प्रकरण को समझने के लिए कोर्ट के आदेश को समझा। प्रदीप कुमार शुक्ला और ललित किशोर तिवारी से बातचीत की। ललित किशोर ने कहा- अब उन्हें जो जिम्मेदारी मिली है, उसे पूरी निष्ठा से निभाएंगे। जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरने का प्रयास करेंगे।
प्रदीप कुमार शुक्ला ने कहा- नीचली अदालत के आदेश से संतुष्ट नहीं हैं। दोबारा कोर्ट में रिकॉल कराने की प्रक्रिया अपनाएंगे। जरूरत पड़ी तो उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे। पूरा विश्वास है कि न्याय जरूर मिलेगा। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… अब सिलसिलेवार पढ़िए घटनाक्रम… उपविजेता ललित किशोर ने कोर्ट में दी थी चुनौती स्थानीय निकाय चुनाव 2023 में वार्ड-73 फैजुल्लागंज तृतीय से भाजपा के प्रदीप कुमार शुक्ला और सपा के ललित किशोर तिवारी आमने-सामने थे। चुनाव परिणाम में प्रदीप शुक्ला को 4972 वोट मिले, जबकि ललित तिवारी को 3298 मत प्राप्त हुए। भाजपा प्रत्याशी प्रदीप कुमार शुक्ला 1674 वोट से विजयी घोषित हुए। चुनाव परिणाम आने के बाद ललित तिवारी ने 13 मई 2023 को लखनऊ के अपर जिला जज की अदालत में चुनाव याचिका दाखिल कर प्रदीप शुक्ला के निर्वाचन को चुनौती दी। एफिडेविट में दूसरी शादी और संपत्ति छिपाने का आरोप लगाया ललित किशोर ने याचिका में आरोप लगाया गया कि नामांकन के समय प्रदीप शुक्ला ने एफिडेविट में अपनी निजी जानकारी पूरी तरह उजागर नहीं की। प्रदीप शुक्ला की दो शादी हुई है। पहली पत्नी सरोज शुक्ला और दूसरी गरिमा शुक्ला हैं। दोनों पत्नियों से उनके बच्चे हैं और परिवार के नाम पर संपत्तियां भी हैं। प्रदीप शुक्ला ने इनका उल्लेख एफिडेविट में नहीं किया है। कोर्ट में पेश नहीं हुए साक्षी, विपक्ष की ओर से भी साक्ष्य नहीं सुनवाई के दौरान साक्षी न्यायालय में उपस्थित नहीं हुए। विपक्षी पक्ष की ओर से कार्यवाही आगे बढ़ाने के लिए प्रार्थना पत्र दिया गया, लेकिन उनकी तरफ से भी कोई ठोस साक्ष्य दाखिल नहीं किया गया। कोर्ट ने उपलब्ध दस्तावेजों, शपथ पत्र और निर्वाचन फॉर्म की समीक्षा रिपोर्ट के आधार पर फैसला सुनाया। कोर्ट ने प्रदीप शुक्ला के खिलाफ दिया आदेश अदालत ने अपने आदेश में कहा कि आवश्यक जानकारियां न देना कदाचार की श्रेणी में आता है। इसी आधार पर 13 मई 2023 को निर्वाचित घोषित किए गए प्रदीप कुमार शुक्ला का निर्वाचन शून्य और निरस्त किया जाता है। साथ ही याची ललित किशोर तिवारी को वार्ड-73 फैजुल्लागंज (तृतीय) से निर्वाचित घोषित किया जाता है। दोनों पक्ष अपने-अपने वाद व्यय स्वयं वहन करेंगे। यह निर्णय 19 दिसंबर 2025 को खुले न्यायालय में अपर जिला जज काशी प्रसाद सिंह यादव द्वारा सुनाया गया। अब पढ़िए दोनों नेताओं ने जो कहा… 2 साल चली कोर्ट की कार्यवाही दैनिक भास्कर से बातचीत में कोर्ट से निर्वाचित पार्षद ललित किशोर तिवारी ने कहा कि वर्ष 2023 में नगर निगम के चुनाव हुए थे। वह समाजवादी पार्टी की ओर से वार्ड नंबर-73 फैजुल्लागंज तृतीय से पार्षद पद के प्रत्याशी थे, जबकि उनके सामने भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी प्रदीप कुमार शुक्ला थे। चुनाव में प्रदीप शुक्ला विजयी घोषित हुए। वह उपविजता बने। उन्होंने बताया कि चुनाव के समय नामांकन के दौरान प्रदीप शुक्ला ने अनिवार्य दस्तावेज और वह जानकारियां नहीं दी थीं, जो कानून के तहत देना जरूरी होता है। इसी आधार पर उन्होंने उनके निर्वाचन को अदालत में चुनौती दी। इसके बाद मामले की सुनवाई करीब दो साल तक चली। ललित किशोर तिवारी ने कहा कि सभी तथ्यों, परिस्थितियों और प्रस्तुत साक्ष्यों पर विचार करने के बाद न्यायालय ने फैसला सुनाया। कोर्ट ने यह माना कि नामांकन के समय आवश्यक जानकारियां छिपाई गई थीं, इसलिए प्रदीप शुक्ला का निर्वाचन निरस्त किया गया। उन्हें पार्षद घोषित किया गया। परिवार से जुड़ी जानकारी देनी होती है ललित किशोर तिवारी ने कहा कि चुनाव नियमावली के रूल-22 के तहत प्रत्याशी को अपनी संपत्ति, पत्नी की संपत्ति, बच्चों की संपत्ति, आश्रितों का विवरण और परिवार से जुड़ी पूरी जानकारी देना अनिवार्य है। प्रदीप शुक्ला ने न तो अपनी संपत्तियों का खुलासा किया और न ही अपनी दोनों पत्नियों सरोज शुक्ला और गरिमा शुक्ला व उनके बच्चों की जानकारी दी। इन तथ्यों को दस्तावेजों के साथ न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया। जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरने का प्रयास करूंगा ललित किशोर तिवारी ने कहा कि न्यायालय ने दोनों पक्षों को पूरा अवसर दिया। सभी दलीलों और साक्ष्यों को देखा और उसके बाद निष्पक्ष निर्णय दिया। यह फैसला सत्य और कानून के पक्ष में है। अब उन्हें न्यायालय ने पार्षद घोषित किया है। जो जिम्मेदारी मिली है, उसे पूरी निष्ठा से निभाएंगे और जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरने का प्रयास करेंगे। उन्होंने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और सपा नेता पूजा शुक्ला ने उन पर भरोसा किया और पार्टी के सिंबल पर चुनाव लड़ने का अवसर दिया। उनका बहुत-बहुत आभार है। ललित तिवारी ने कहा कि वह आगे भी पार्टी में रहकर उसकी विचारधारा और दिशा-निर्देशों के अनुसार काम करते रहेंगे। ऑर्डर को रिकॉल करेंगे प्रदीप शुक्ला ने दैनिक भास्कर से बातचीत करते हुए कहा कि वे न्यायालय के फैसले से संतुष्ट नहीं हैं। इस मामले को दोबारा कोर्ट में रिकॉल कराने की प्रक्रिया अपनाएंगे। उन्होंने कहा कि अभी सभी कानूनी विकल्प खुले हुए हैं। जल्द ही अगली कार्रवाई की जाएगी।
प्रदीप शुक्ला ने स्पष्ट किया कि यदि निचली अदालत में उनकी बात नहीं सुनी गई, तो वे इस फैसले के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख करेंगे। उन्होंने कहा कि उन्हें न्याय व्यवस्था पर पूरा भरोसा है। उन्होंने दावा किया कि सत्य और तथ्यों के आधार पर ही उनका पक्ष मजबूत है। प्रदीप शुक्ला ने भरोसा जताया कि अंततः न्याय मिलेगा।


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