देवरिया में अखिल भारतीय सांस्कृतिक चेतना मंच और उत्तर प्रदेश भाषा संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में शुक्रवार शाम एक अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। परमशुभ लॉन, रघवापुर में हुए इस कार्यक्रम में देश के विभिन्न हिस्सों से आए कवियों ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं को देर रात तक मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन और सरस्वती वंदना के साथ हुआ। इसके बाद कवि स्वयं श्रीवास्तव, प्रवीण मणि त्रिपाठी, आशुतोष त्रिपाठी, आशीष द्विवेदी, सौरभ जायसवाल, सान्या राय और नीलमणि झा ने अपनी विशिष्ट शैलियों में काव्य पाठ किया। उनकी प्रस्तुतियों से सभागार देर रात तक तालियों की गड़गड़ाहट से गूंजता रहा। कवि स्वयं श्रीवास्तव की पंक्तियों ‘दुनिया समझ रही है कि चमक गया हूं मैं’ ने श्रोताओं में उत्साह भर दिया। प्रवीण मणि त्रिपाठी की रचना ‘कैसे जुड़ेगा रिश्ता, हम पहले से रिश्तेदार हैं’ पर सभागार में खूब दाद मिली और तालियां बजीं। कवियों की रचनाओं में हास्य के साथ-साथ सामाजिक सरोकारों की गहरी झलक भी देखने को मिली। इस अवसर पर अजय मणि त्रिपाठी ने आयोजकों को सफल आयोजन के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि ऐसे साहित्यिक आयोजन समाज में संवेदना, सकारात्मक सोच और वैचारिक चेतना को मजबूत करते हैं। उन्होंने युवाओं से साहित्य और संस्कृति से जुड़ने का आह्वान भी किया। उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान की अध्यक्ष अमृता दूबे ने टिप्पणी की कि ऐसी साहित्यिक महफिलें सर्दी में गुनगुनी धूप के समान होती हैं, जो मन और विचार दोनों को ऊष्मा प्रदान करती हैं। आयोजकों के अनुसार, कवि सम्मेलन के दौरान श्रोताओं का उत्साह देखते ही बन रहा था। देर रात तक चले इस काव्य उत्सव में बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमियों ने कवियों की प्रस्तुतियों का भरपूर आनंद लिया। कार्यक्रम के अंत में आयोजक संस्था की ओर से सभी कवियों और अतिथियों को सम्मानित किया गया।
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