दिल्ली कार ब्लास्ट केस में एटीएस ने कानपुर के कार्डियोलॉजी विशेषज्ञ डॉक्टर आरिफ को अरेस्ट किया है। उसका कनेक्शन मारे गए आतंकी डॉक्टर उमर और उसकी सहयोगी लेडी टेररिस्ट डॉ. शाहीन से मिला है। आरिफ दोनों लोगों के संपर्क में था। जांच में यह भी सामने आया कि शाहीन और आरिफ के बीच हर रोज बात होती थी। दोनों कई संदिग्धों के संपर्क में थे। उसके मोबाइल की चैट और इंटरनेट कॉलिंग भी जांच एजेंसियों को मिली है। कानपुर में रहने वाले कश्मीरी मूल के छात्र और प्रोफेशनल्स से भी आरिफ संपर्क में था। ऐसे ही 48 छात्रों की प्रोफाइल की जांच की जा रही है। ये सभी हरकोर्ट बटलर टेक्निकल यूनिवर्सिटी (HBTU) के स्टूडेंट हैं। डॉ. आरिफ ने पहले लखनऊ, फिर कानपुर को क्यों चुना? शाहीन और आरिफ के बीच क्या संबंध है? कानपुर में उसका क्या नेटवर्क था? किन लोगों के साथ आरिफ का उठना-बैठना था? दिल्ली ब्लास्ट में डॉ. आरिफ की भूमिका कितनी अहम है? इन सभी पहलुओं की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) और एसटीएफ जांच कर रही है। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… पहले जानिए कौन है डॉ. आरिफ डॉक्टर आरिफ मीर (32) जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग के खागुनसादीवारा इलाके का रहने वाला है। उसके पिता का नाम गुलाम हसन मीर है। उसने SKIMS मेडिकल कॉलेज श्रीनगर से एमबीबीएस की पढ़ाई की। साल- 2024 में उसने एमबीबीएस पूरा किया। जांच में सामने आया है कि दिल्ली ब्लास्ट में शामिल डॉ. उमर और डॉ. आरिफ दोनों ने एक साथ एमबीबीएस किया था। यहीं से दोनों एक-दूसरे के संपर्क में थे। माना जा रहा है कि डॉ. उमर के जरिए ही वह लेडी टेररिस्ट डॉ. शाहीन से जुड़ा था। शाहीन ने उसे टारगेट दिए। इसके बाद अगस्त- 2025 में आरिफ कानपुर आ गया। यहां उसने एलपीएस इंस्टीट्यूट ऑफ कॉर्डियोलॉजी से एमडी (डॉक्टरेट ऑफ मेडिसिन) में एडमिशन ले लिया। आरिफ, उमर और शाहीन की चैटिंग और ई-मेल ATS को मिले हैं। आरिफ के लैपटॉप में अहम डेटा भी मिला है। ATS ने आरिफ का मोबाइल और लैपटॉप अपने कब्जे में ले लिया है। लखनऊ छोड़कर, कानपुर को क्यों चुना
हृदय रोग संस्थान के निदेशक डॉ. राकेश वर्मा ने बताया- आरिफ ने अगस्त- 2025 में फर्स्ट ईयर के रेजिडेंट के रूप में कार्डियोलॉजी में जॉइन किया था। इससे पहले काउंसलिंग में उसने लखनऊ के एसजीपीजीआई में प्रवेश लेने के लिए अप्लाई किया था। बाद में सेकेंड राउंड की काउंसिलिंग में उसने कानपुर चुना। जांच में सामने आया कि टेररिस्ट यूपी को दहलाना चाहते थे। इसीलिए उन्होंने यूपी के टॉप शहरों को चुना था। इनमें कानपुर भी एक है। आतंकी हर शहर में सीरियल विस्फोट करना चाहते थे। डॉ. शाहीन के फरीदाबाद चले जाने के बाद कानपुर में ऐसा कोई नहीं था, जो जैश-ए-मोहम्मद के नेटवर्क को खड़ा कर सके। ऐसे में माना जा रहा है कि डॉ. आरिफ का कानपुर आना उसी प्लान का हिस्सा था। दरअसल, डॉ. शाहीन साल 2006 से 2013 तक कानपुर मेडिकल कॉलेज में तैनात रही थी। इसके बाद बिना किसी को कुछ बताए वह कानपुर छोड़ गई थी। बाद में फरीदाबाद से गिरफ्तार की गई थी। लेडी टेररिस्ट डॉ. शाहीन के टच में था आरिफ
कानपुर में रहने के दौरान डॉ. शाहीन ने कई मुस्लिम इलाकों में नेटवर्क खड़ा किया था। इसी नेटवर्क को डॉ. आरिफ संभाल रहा था। लोगों का ब्रेनवॉश कर जोड़ रहा था। ये नेटवर्क कहां-कहां फैला है? कितने लोग इससे जुड़े हैं? आरिफ ने कितने लोगों को इसमें शामिल किया? इसकी जांच सुरक्षा एजेंसियां कर रही हैं। पढ़िए, आरिफ कैसे पकड़ा गया अस्पताल से घर आ रहा था, ATS ने पकड़ा
लेडी टेररिस्ट डॉ. शाहीन से हुई पूछताछ में उसने डॉ. आरिफ के बारे में बताया। इसके बाद बुधवार (12 नवंबर) को ATS कानपुर पहुंची। आरिफ जब अस्पताल से घर लौट रहा था, तभी रास्ते में ATS ने उसे पकड़ लिया। इसके बाद ATS उसे लेकर उसके किराए के मकान में पहुंची। यह तीन मंजिला मकान अशोक नगर स्थित फातिमा स्कूल के बगल में बना है। यहां उसके कमरे का ताला तोड़कर तलाशी ली। करीब 20 मिनट तक पूरे फ्लैट की बारीकी से जांच की। फिर वहां से कई दस्तावेज भी अपने साथ ले गई। फिलहाल फ्लैट में ताला बंद है। फ्लैट पार्टनर डॉ. अभिषेक दहशत में हैं। उन्होंने कॉर्डियोलॉजी हॉस्पिटल में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके बताया कि उनका इस मामले से कोई लेना-देना नहीं। जांच में पता चला है डॉ. आरिफ को किराए पर कमरा अलीगढ़ में तैनात डॉ. यासिर ने दिलवाया था। डॉ. यासिर कार्डियोलॉजी विभाग के सीनियर डॉक्टर हैं। जांच एजेंसियां अब डॉ. यासिर से भी पूछताछ करेंगी। मकान मालिक बोले- कभी दुआ सलाम भी नहीं करता था आरिफ
मकान मालिक कन्हैयालाल ने बताया कि मो. आरिफ 3 महीने पहले डॉ. अभिषेक के साथ मेरे पास आया था। दोनों ने थ्री-बीएचके फ्लैट को पार्टनरशिप में 27 हजार रुपए मंथली किराए पर लिया था। दोनों भले ही एक ही फ्लैट में रहते थे, लेकिन उनके कमरे अलग थे। दोनों सिर्फ फ्लैट पार्टनर थे, रूम पार्टनर नहीं थे। कन्हैयालाल ने बताया कि 3 महीने में कभी भी आरिफ ने किसी से दुआ सलाम तक नहीं किया। मैं बैठा रहता था। वह मेरे सामने से निकल जाता था, लेकिन कोई बात नहीं होती थी। जबकि उसके पार्टनर डॉ. अभिषेक बातचीत करते थे। 3 महीने में कभी कोई ऑर्डर देने डिलीवरीमैन भी नहीं आया। आरिफ सुबह करीब 10 बजे ओला बाइक से जाता था। फिर ओला बाइक से ही वापस आता था। ————————- ये खबर भी पढ़ें- ATS ने कानपुर के बाद हापुड़ से डॉक्टर को उठाया, एक आतंकी उमर तो दूसरा मुजम्मिल का क्लासमेट दिल्ली ब्लास्ट के बाद यूपी में एजेंसियां एक्शन मोड में हैं। यूपी से 2 और सीनियर डॉक्टर को ATS और दिल्ली पुलिस ने उठाया है। बुधवार रात कानपुर मेडिकल कॉलेज के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. मोहम्मद आरिफ (32) को ATS ने अरेस्ट किया। पढ़ें पूरी खबर
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