प्रतापगढ़ के अपर सत्र न्यायाधीश अजय कुमार ने दहेज उत्पीड़न और दहेज हत्या के मामले में शेषधर शुक्ल को दोषी करार दिया है। कोर्ट ने डेईडीह धौरहरा थाना पट्टी निवासी शेषधर शुक्ल को 10 वर्ष के कारावास और ₹8000 के अर्थदंड से दंडित किया। राज्य की ओर से इस मामले में एडीजीसी राकेश प्रताप सिंह ने पैरवी की। यह मामला वादी महेश नारायण पांडे की भतीजी संध्या देवी से संबंधित है। 25 वर्षीय संध्या की शादी मई 2011 में हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार शेषधर शुक्ल पुत्र राम मनोरथ से हुई थी। संध्या, वादी के बड़े भाई चिंतामणि पांडे की पुत्री थीं, जो परिवार सहित छत्तीसगढ़ के कोरख जिले में दूरसंचार विभाग में फोन मैकेनिक के पद पर कार्यरत हैं। शादी में प्रार्थी के भाई ने अपनी सामर्थ्य के अनुसार ₹51,000 नकद, सोने की जंजीर, अंगूठी और अन्य गृहस्थी का सामान दिया था। हालांकि, मृतका संध्या देवी के ससुराल वाले इस दहेज से संतुष्ट नहीं थे। उनके पति शेषधर, जेठ गोविंद, जेठानी गीता और शेषधर के छोटे भाई लगातार मोटरसाइकिल और ₹1 लाख की मांग करते थे। दहेज की मांग पूरी न होने पर वे संध्या को मारते-पीटते थे और शारीरिक व मानसिक रूप से प्रताड़ित करते थे। संध्या जब भी अपने मायके आती थीं, तो वह अपने माता-पिता, चाचा और चाची को ससुराल वालों की प्रताड़ना के बारे में बताती थीं। घटना से लगभग डेढ़ माह पहले संध्या को मारपीट कर घर से निकाल दिया गया था। घटना से एक सप्ताह पूर्व सुलह-समझौते के बाद संध्या देवी अपने ससुराल लौटी थीं, तब उन्होंने आशंका जताई थी कि ये लोग उन्हें मार डालेंगे। 31 अगस्त 2012 को संध्या देवी की दहेज के लालच में कथित तौर पर हत्या कर दी गई। इस मामले में शेषधर के अलावा पंकज कुमार, जय गोविंद, गीता देवी, गायत्री देवी, संतोष कुमार और नीरज शुक्ला को भी आरोपी बनाया गया था। हालांकि, साक्ष्य के अभाव में इन सभी आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया गया।
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