इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बरेली में 26 सितंबर को हुए दंगे के आरोपी मौलाना तौकीर राजा के सहयोगी रेहान की जमानत याचिका खारिज कर दी। हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि आई लव मोहम्मद जुलूस में सिर तन से जुदा का नारा सिर्फ दंगा भड़काने के लिए नहीं बल्कि ये सरकार को चुनौती है। जस्टिस अरुण कुमार सिंह देशवाल ने जमानत अर्जी खारिज कर दी। कहा कि जमानत देने का कोई आधार नहीं है।
रेहान के खिलाफ बरेली दंगे को लेकर कोतवाली पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज है। रेहान पर दंगा भड़काने और सिर तन से जुदा का नारा लगाने का आरोप है। कोर्ट ने जजमेंट के पैरा 12 में कहा है कि याची द्वारा लगाया गया नारा गुस्ताख ए नबी की एक सजा, सिर तन से जुदा सिर तन से जुदा, यह नारा कानून के अधिकार के साथ साथ भारत की संप्रभुता और अखंडता को चुनौती है, क्योंकि यह लोगों को सशस्त्र विद्रोह के लिए उकसाता है। इसलिए यह कृत्य न केवल धारा 152 बीएनएस के तहत दंडनीय होगा, बल्कि इस्लाम के मूल सिद्धांतों के भी विरुद्ध है। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद याची रेहान की जमानत अर्जी खारिज कर दी। याची अधिवक्ता अखिलेश कुमार द्विवेदी ने जमानत अर्जी पर अपना पक्ष रखा। जमानत अर्जी का एडिशनल एडवोकेट जनरल अनूप त्रिवेदी ने पुरजोर विरोध किया।
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