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तेज डीजे बन सकता है मौत का कारण:मानसिक तनाव-चिड़चिड़ापन भी देता है, जानिए कितना साउंड स्वास्थ्य के लिए सही

यूपी के मुजफ्फरनगर में शादी समारोह के दौरान डीजे की तेज आवाज के कारण बीते दिनों 14 साल की छात्रा की तबीयत बिगड़ गई। उसे तत्काल अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। डॉक्टरों के अनुसार, छात्रा की मौत हार्ट अटैक से हुई। हालांकि, ग्रामीणों का कहना है कि शादी समारोह में डीजे की आवाज बेहद तेज थी। कई लोगों ने आवाज कम करने की अपील भी की थी, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। इसी का नतीजा है कि छात्रा की तबीयत बिगड़ी। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, 12 से 35 साल की उम्र के 1 अरब से ज्यादा लोगों को तेज संगीत और लंबे समय तक तेज शोर के संपर्क में रहने से सुनने की क्षमता कम होने का खतरा है। ऐसे में सवाल यह है कि क्या डीजे की तेज आवाज से किसी की मौत भी हो सकती है? डीजे की अधिकतम आवाज के नियम क्या हैं? कितने डेसिबल आवाज तक डीजे बजाना चाहिए? स्वास्थ्य के लिहाज से कितने डेसिबल तक आवाज ठीक है? क्या डीजे की तेज आवाज से किसी की मौत हो सकती है? गोरखपुर जिला अस्पताल के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. रोहित बताते हैं- बहुत तेज आवाज (100-140 डेसिबल) से अचानक तनाव, घबराहट और एड्रेनेलिन का स्तर बढ़ जाता है। अगर किसी को पहले से दिल की बीमारी, जन्मजात हार्ट रोग या कमजोर हार्ट हो, तो तेज आवाज हार्ट अटैक या कार्डियक अरेस्ट को ट्रिगर कर सकती है। बच्चों, बुजुर्गों या संवेदनशील लोगों में तेज डीजे से पैनिक अटैक, सांस रुकना, बेहोशी हो सकती है। गंभीर स्थिति में यह जानलेवा बन सकता है। ज्यादा शोर से ब्लड प्रेशर अचानक बढ़ सकता है। इससे ब्रेन हेमरेज (दिमाग में रक्तस्राव) का खतरा रहता है। हालांकि, यह बहुत कम मामलों में होता है। डीजे की अधिकतम आवाज के नियम क्या हैं? यूपी में शादी-विवाह और अन्य आयोजनों में डीजे की तेज आवाज को लेकर सख्त नियम लागू हैं। डीजे/लाउडस्पीकर की आवाज को लेकर नियम केंद्रीय ध्वनि प्रदूषण (नियमन एवं नियंत्रण) 2000 के तहत लागू होते हैं। जिन्हें यूपी पुलिस और प्रशासन सख्ती से लागू करता है। इसके तहत विशेष अनुमति के बिना रात 10 बजे से सुबह 6 बजे के बीच लाउडस्पीकर या सार्वजनिक संबोधन का उपयोग करना मना है। डीजे या लाउडस्पीकर बजाने के लिए स्थानीय प्रशासन से पूर्व अनुमति लेना अनिवार्य है। नियमों के उल्लंघन पर डीजे जब्त किया जा सकता है। चालान या एफआईआर दर्ज हो सकती है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है। स्वास्थ्य के लिहाज से कितने डेसिबल तक आवाज ठीक है? एक्सपर्ट बताते हैं, सामान्य तौर पर सुनने की सीमा 0 से 180 डेसिबल तक है, जबकि 85 डेसिबल से अधिक का शोर हानिकारक माना जाता है। लेकिन अलग-अलग राज्यों और जिलों में कार्यक्रमों के अनुसार प्रशासन साउंड डेसिबल की अनुमति देता है। आमतौर पर कार्यक्रम , रोड-शो के लिए प्रशासन 10 से 55 डेसिबल तक के साउंड सिस्टम की अनुमति देता है। इसके बावजूद लोग नियमों का उल्लंघन करते हैं। इसके अलावा प्रशासन द्वारा रात के 12 बजे से सुबह 6 बजे तक सभी प्रकार के साउंड पर रोक है। ज्यादा ध्वनि मनुष्य के लिए हानिकारक बीएचयू के ईएनटी डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. शिवा एस कहते हैं- 70 डेसिबल से ज्यादा ध्वनि मनुष्य के लिए हानिकारक है। वहीं, 80 डेसिबल ध्वनि के बीच लगातार रहने वाला व्यक्ति बहरेपन का शिकार हो सकता है। अगर कोई प्रेग्नेंट महिला 4 महीने तक 120 डेसिबल ध्वनि के बीच रहे, तो बच्चा बहरा पैदा होने की आशंका बढ़ जाती है। 80 डेसिबल से अधिक साउंड 20 मिनट तक महीने में कई बार सुनेंगे, तो सुनने की क्षमता कम हो सकती है। वहीं समय पर उपचार नहीं होने पर स्थायी बीमारी हो सकती है। ज्यादा तेज आवाज की ध्वनि सुनने से मनुष्यों को चिड़चिड़ापन, सिरदर्द, चक्कर आना, मितली और डिप्रेशन की दिक्कत होती है। जो लोग रोजाना डीजे के बीच रहते हैं, उनकी सुनने की क्षमता बहुत प्रभावित होती है। ————————– ये खबर भी पढ़ें… एक्सप्रेस-वे पर संभलकर चलें, आधा KM दूर से रिकॉर्डिंग, यूपी में कपल का इंटिमेट वीडियो वायरल हुआ पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के टोल प्लाजा पर एक नवविवाहित जोड़े का प्राइवेट वीडियो CCTV से रिकॉर्ड किया गया। पति-पत्नी कार में थे। उन्होंने टोल प्लाजा से पहले कार रोकी। कार में बैठे-बैठे रोमांस करने लगे। एक्सप्रेस-वे के ‘एंटी ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम’ (ATMS) के असिस्टेंट मैनेजर आशुतोष ने इस प्राइवेट पल का वीडियो बना लिया। पढ़िए पूरी खबर…


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