कानपुर का कलेक्ट्रेट परिसर शुक्रवार को तिल-गुड़, देशी घी और इस जैसी परंपरागत खुशबू से महक उठा। मौका था जिला प्रशासन के तत्वावधान में शुरू हुए ‘लड्डू महोत्सव’ का, जिसमें विभिन्न तरह के स्वदेशी और सर्दियों में बनाए जाने वाले लड्डुओं के स्टॉल्स लगाए गए। अतिथि के तौर पर मौजूद डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह ने लड्डू महोत्सव का शुभारंभ किया और इसके बाद सभी स्टॉल्स पर जाकर वहां मौजूद देशी लड्डुओं की जानकारी ली। महोत्सव में स्वयं सेवी संगठनों और महिला समूहों के जरिए यह ‘लड्डू महोत्सव’ लगाया गया है, जिसमें सर्दियों के समय घर में तैयार किए जाने वाले देशी लड्डुओं की प्रदर्शनी लगाई गई है। संस्कृति और पोषण की पहचान हैं लड्डू
डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह ने ‘लड्डू महोत्सव’ का शुभारंभ करने के बाद सभी स्टॉल्स में जाकर उनकी विशेषताएं जानी। जिसके बाद उन्होंने कहा कि यह लड्डू भारतीय संस्कृति और पोषण की पहचान हैं। पहले सर्दियों की शुरूआत होते ही हर घर में यह लड्डू तैयार किए जाते थे। लेकिन बदलते समय के साथ परंपराएं भी विलुप्त होती जा रही हैं। नई जनरेशन अपने बिजी शेड्यूल और नौकरी पेशा जीवन में इन चीजों को समय और तवज्जो नहीं दे पाते हैं। जबकि यह देशी चीजें लोगों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए काफी अहम हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह के आयोजन से लोग फिर अपनी संस्कृति से जुड़ना शुरू होंगे। दर्जनों वैरायटी के लड् में महोत्सव में
‘लड्डू महोत्सव’ में महिला समूहों के जरिए विभिन्न स्टॉल्स लगाए गए हैं। जिसमें तिल-गुड़, बाजरा, सोंठ, गोंद-मेवा समेत विभिन्न तरह के देशी लड्डुओं के स्टॉल्स लगाए गए हैं। जिनकी सुगंध से ही भारत की परंपरा और विरासत का लोगों को एहसास होता रहा। महोत्सव में बताया गया कि महोत्सव में लगाए गए स्टॉल्स से लोग अपने घर के लिए लड्डू खरीद भी सकते हैं। जिन्हें देशी घी और घरेलू तरीके से बनाया गया है। जो सर्दियों में लोगों के स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक होते हैं। इसके साथ ही इससे प्रेरित होकर लोग अपने घर में भी ऐसे स्वास्थ्य वर्द्धक लड्डुओं को तैयार कर सकते हैं।
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