इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि एक विवाहित व्यक्ति कानूनी रूप से तलाक प्राप्त किए बिना किसी तीसरे व्यक्ति के साथ लाइव-इन संबंध में नहीं रह सकता है। इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने एक जोड़े की याचिका को खारिज कर दिया, जो सुरक्षा की मांग कर रहे थे। न्यायमूर्ति विवेक कुमार सिंह ने कहा कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार निरपेक्ष नहीं है और यह मौजूदा जीवनसाथी के कानूनी अधिकारों का उल्लंघन नहीं कर सकता है। याचियों ने यह कहते हुए सुरक्षा की मांग की थी कि वे दोनों बालिग हैं और पति-पत्नी के रूप में एकसाथ रह रहे हैं। उन्हें परिवार जनों से जीवन के खतरे का भय है। सरकारी वकील ने याचियों की प्रार्थना का विरोध करते हुए कहा कि उनका यह कार्य गैरकानूनी है, क्योंकि इनमें लड़की पहले से ही दिनेश कुमार के साथ विवाहित है और उसने तलाक प्राप्त नहीं किया है। कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि दो वयस्कों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता में कोई भी हस्तक्षेप नहीं कर सकता है, यहां तक कि उनके माता-पिता भी नहीं लेकिन स्वतंत्रता का अधिकार या व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार निरपेक्ष नहीं है। इसमें कुछ प्रतिबंध भी हैं। एक व्यक्ति की स्वतंत्रता समाप्त हो जाती है, जहां दूसरे व्यक्ति का कानूनी अधिकार शुरू होता है। एक जीवनसाथी को अपने साथी के साथ रहने का कानूनी अधिकार है और उसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता के लिए उस अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है और न ही किसी को उस अधिकार का उल्लंघन करने के लिए सुरक्षा प्रदान की जा सकती है।
याची पहले से ही विवाहित हैं और उनके जीवनसाथी जीवित हैं तो उन्हें पहले से विवाहित जीवनसाथी से तलाक लिए बिना किसी तीसरे व्यक्ति के साथ लिव-इन रिलेशन में रहने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
https://ift.tt/V6znxTf
🔗 Source:
Visit Original Article
📰 Curated by:
DNI News Live

Leave a Reply