भारतीय किसान यूनियन (आजाद) के नेतृत्व में किसानों ने कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन तमिलनाडु के किसान नेता पी.आर. पांड्यन और सेल्वराज को 13 साल की सज़ा सुनाए जाने के विरोध में था। किसानों ने दोनों नेताओं की तत्काल रिहाई की मांग की। भारतीय किसान यूनियन (आजाद) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी नितिन बालियान ने बताया कि पी.आर. पांड्यन ने अपना जीवन किसान समाज के उत्थान के लिए समर्पित किया है। मामला 2013 का है, जब तमिलनाडु के धर्मापुरी जिले के करिमंगलम में राज्य सरकार द्वारा घोषित “संरक्षित कृषि भूमि” में ओएनजीसी कंपनी खुदाई और ड्रिलिंग कर रही थी। 2013 में इस इलाके में गैस लीक की घटना हुई थी, जिससे बड़े पैमाने पर जानमाल के संकट की आशंका पैदा हो गई। स्थानीय नागरिकों में भय का माहौल बनने के बाद राज्य सरकार ने ओएनजीसी की उस साइट पर काम जारी रखने पर रोक लगा दी थी। इसके बावजूद, ओएनजीसी ने काम बंद करने की बजाय स्थानीय जनजीवन को संकट में डालते हुए कार्य जारी रखा। ओएनजीसी के इस प्रोजेक्ट से खेती और पर्यावरण पर पड़ने वाले गंभीर दुष्परिणामों को देखते हुए, 2015 में पी.आर. पांड्यन के नेतृत्व में किसानों ने शांतिपूर्ण विरोध-प्रदर्शन किया। किसानों का आरोप है कि ओएनजीसी कंपनी ने अपने हितों को साधने के लिए शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे किसानों के खिलाफ साजिश रचकर फर्जी सबूतों के आधार पर झूठा मुकदमा दर्ज करवा दिया। इस मुकदमे में बीती 6 दिसंबर को तिरुवरूर जिले की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने किसान नेता पी.आर. पांड्यन और सेल्वराज को 13-13 साल की सज़ा सुनाई। इस फैसले के बाद से दोनों किसान नेता जेल में हैं। इसके विरोध में आज देशव्यापी ज्ञापन का कार्यक्रम किया गया है और दोनों किसान नेताओं की रिहाई की मांग की गई है। भारतीय किसान यूनियन (आजाद) के युवा राष्ट्रीय अध्यक्ष इंजीनियर शादाब चौधरी ने बताया कि इस प्रकरण से पूरे देश भर के किसानों में रोष है। उन्होंने कहा कि देश के तमाम किसानों की तरफ से हमने राष्ट्रपति से अपील की है कि दोनों किसान नेताओं को रिहा किया जाए।
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