मेरठ सहित यूपी के विभिन्न जिलों में डेयरी उत्पादन में खाद्य सुरक्षा संकट में चौंकाने वाले खुलासे सामने आए हैं। एनिमल इक्वैलिटी इंडिया की एग्ज़िक्यूटिव डायरेक्टर अमृता उबाले की तरफ से एक रिसर्च किया गया है। अमृता उबाले ने कहा कि संगठन 2014 से डेयरी उद्योग में अध्ययन कर रहा है। इन रिसर्च में सुनियोजित क्रूरता, उपभोक्ता सुरक्षा की अनदेखी सामने आती रही है। आम जनता के स्वास्थ्य से हो रहा खिलवाड़ यूपी सहित हरियाणा, महाराष्ट्र में 2025 में हुए रिसर्च में सामने आया कि मेरठ व अन्य जिलों में डेयरी उद्योग में काफी कमियां हैं। जो लोगों की सुरक्षा के प्रति सीधे लापरवाही है। अध्ययन में 27 डेयरी फ़ार्म और 3 पशु मंडियों में पशु क्रूरता और खाद्य सुरक्षा कानूनों के उल्लंघन का खुलासा हुआ। रिपोर्ट के अनुसार, बछड़ों को माँ से अलग करने के बाद दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों द्वारा प्रतिबंधित ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन का प्रयोग हुआ। जो गायों में दर्दनाक संकुचन पैदा करता है। मनुष्यों विशेषकर बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए गंभीर स्वास्थ्य जोखिम खड़ा करता है। कई फ़ार्मों में जानवरों को फफूंद लगी और एक्सपायर ब्रेड खिलाई जा रही थी। जानवरों के साथ हो रहा दुव्यहवहार रिपोर्ट में पाया गया कि अधिकांश पशुओं को छोटे रस्सों से जीवनभर एक ही स्थान पर बांधकर रखा जाता है, जहाँ उन्हें मल-मूत्र से सनी ज़मीन पर ही खड़े होने, सोने और खाने के लिए मजबूर होना पड़ता है। बीमार पशुओं को कोई चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं कराई जाती थी और लगातार कृत्रिम गर्भाधान से उनके शरीर पर अत्यधिक दबाव पड़ता था। जन्म के तुरंत बाद बछड़ों को माताओं से अलग कर दिया जाता था, जिससे दोनों में भारी तनाव और पीड़ा देखी गई। हाथ और मशीनों से गलत तरीके से किए जाने वाले दुहाई से गायों को चोटें पहुँच रही थीं और नर बछड़ों को “बेकार” समझकर छोड़ दिया जाता था या वध के लिए भेज दिया जाता था।
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