डुमरियागंज के राजकीय कन्या इंटर कॉलेज मैदान में मंगलवार को हिन्दू सम्मेलन का आयोजन किया गया। यह सम्मेलन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष के तृतीय चरण के कार्यक्रम का हिस्सा था, जिसका आयोजन हिन्दू सम्मेलन समिति ने किया। इसमें सनातन समाज के महिला-पुरुषों ने बड़ी संख्या में भाग लिया। सम्मेलन के मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचारक (पूर्वी उत्तर प्रदेश) अनिल थे। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता की रक्षा के लिए हिन्दू समाज का संगठित होना समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है। उन्होंने जोर दिया कि जब समाज एकजुट रहता है, तभी राष्ट्र सशक्त बनता है और समाज की मजबूती से ही राष्ट्र का सर्वांगीण विकास संभव होता है। अनिल ने इस बात पर जोर दिया कि हिन्दू समाज को अपनी संस्कृति, परंपराओं और मूल्यों को पहचानना चाहिए और उन्हें भावी पीढ़ियों तक सुरक्षित पहुंचाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हिन्दू धर्म सहिष्णुता, त्याग और मानवता का संदेश देता है, जिसे कमजोरी नहीं समझना चाहिए। उन्होंने इतिहास का हवाला देते हुए कहा कि जब-जब हिन्दू समाज संगठित हुआ है, तब-तब राष्ट्र ने नई ऊंचाइयों को छुआ है। उन्होंने आगे कहा कि 15 अगस्त 1947 को देश को राजनीतिक स्वतंत्रता मिली थी, लेकिन धार्मिक और सांस्कृतिक स्वाभिमान की वास्तविक अनुभूति श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के निर्माण के बाद हुई है। अनिल ने बताया कि यह मंदिर केवल आस्था का केंद्र नहीं, बल्कि हिन्दू समाज की एकता, संघर्ष और संकल्प का प्रतीक है। अनिल ने हिन्दू समाज से एकजुट और सतर्क रहने का आह्वान किया। उन्होंने चेतावनी दी कि भविष्य में भाषा, संप्रदाय और क्षेत्र के नाम पर भारत पर हमले बढ़ सकते हैं, जिसके लिए समाज को सजग रहना होगा। उन्होंने बंगाल, असम और केरल में हिन्दू समाज की स्थिति पर चिंता व्यक्त की और पाकिस्तान तथा बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचारों का उल्लेख करते हुए इतिहास से सीख लेने की बात कही।
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