हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा तथा पत्रकारिता विभाग में शनिवार को “अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय मीडिया की स्थिति: भविष्य और चुनौतियां” विषय पर एक महत्वपूर्ण परिचर्चा आयोजित की गई। कार्यक्रम में बीए जेएमसी के 1, 3 और 5 सेमेस्टर तथा एमए जेएमसी-1 के विद्यार्थियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया। कार्यक्रम की शुरुआत विभाग के वरिष्ठ शिक्षक और कोर्स-कोऑर्डिनेटर प्रो. राजेश मल्ल के संबोधन से हुई। उन्होंने भारतीय मीडिया की वैश्विक छवि, फेक न्यूज़ का बढ़ता खतरा, डिजिटल मीडिया पर अनियंत्रित सामग्री और तथ्य-जांच की जरूरत जैसे विषयों पर सरल और प्रभावी तरीके से अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि तेजी से बदल रहे मीडिया परिदृश्य में पत्रकारों को सत्य, निष्पक्षता और पारदर्शिता बनाए रखना जरूरी है। परिचर्चा में पत्रकारों की सुरक्षा पर भी चर्चा हुई। विद्यार्थियों ने युद्ध क्षेत्रों, राजनीतिक विवादों और संवेदनशील मुद्दों पर काम करने वाले पत्रकारों के जोखिमों पर अपने विचार रखे। साथ ही मीडिया नीतियों, प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के दिशा-निर्देशों, डिजिटल मीडिया नीति और प्रेस स्वतंत्रता पर भी महत्वपूर्ण तर्क प्रस्तुत किए गए। कार्यक्रम में नंदिनी मिश्रा, कुमार सुधांशु सिंह, मृगांका यादव, मान्सी मिश्रा, पूर्णिमा त्रिपाठी, आतिश कुमार, नेहा यादव, मान्सी दुबे, दीपांश त्रिपाठी, मयंक नाथ त्रिपाठी, प्रिंस सिंह, साक्षी सिंह और योगेश्वर दुबे ने सक्रिय भागीदारी की। विद्यार्थियों ने भी महत्वपूर्ण राय रखी नंदिनी मिश्रा ने मीडिया की गिरती वैश्विक रैंकिंग पर चिंता जताई। कुमार सुधांशु सिंह ने कहा कि डिजिटल मीडिया अब पत्रकारिता की दिशा तय कर रहा है। मान्सी मिश्रा ने समाचारों में निष्पक्षता बनाए रखने की जरूरत बताई। दीपांश त्रिपाठी ने फेक न्यूज़ को मीडिया के लिए सबसे बड़ी चुनौती कहा। अंत में प्रश्नोत्तर सत्र हुआ, जिसमें विद्यार्थियों ने कई महत्वपूर्ण सवाल पूछे और विस्तृत जवाब प्राप्त किए। यह परिचर्चा विद्यार्थियों के लिए बेहद उपयोगी साबित हुई। इससे उनकी सोच, समझ और पत्रकारिता के प्रति दृष्टिकोण और मजबूत हुआ।
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