शामली में कड़ाके की ठंड और घने कोहरे के बीच सरकारी स्कूलों की व्यवस्था सवालों के घेरे में आ गई है। जिला प्रशासन द्वारा स्कूलों का समय बदलने के बावजूद कई सरकारी स्कूलों में ताले लटके मिले, जबकि नन्हे बच्चे ठंड में ठिठुरते हुए स्कूल खुलने का इंतजार करते नजर आए। यह लापरवाही न केवल व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रही है, बल्कि बच्चों की सुरक्षा और शिक्षा के प्रति जिम्मेदारी पर भी बड़ा प्रश्नचिह्न लगा रही है। लगातार बढ़ रही ठंड और सुबह के समय घने कोहरे को देखते हुए जिला प्रशासन ने गुरुवार से सरकारी स्कूलों के समय में बदलाव किया था। आदेश के मुताबिक, बच्चों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए स्कूलों का संचालन सुबह 10 बजे से दोपहर 3 बजे तक तय किया गया था, ताकि छोटे बच्चों को सुबह की कड़ाके की ठंड से राहत मिल सके। आदेश के बावजूद नहीं पहुंचे शिक्षक हालांकि, प्रशासन के आदेशों का असर जमीन पर कम ही दिखाई दिया। जिले के कई सरकारी स्कूलों में निर्धारित समय पर शिक्षक नहीं पहुंचे। स्कूल समय होने के बावजूद गेट बंद रहे और बाहर ताले लटके मिले।इस दौरान स्कूल पहुंचे मासूम बच्चे ठंड में कांपते हुए गेट के बाहर खड़े होकर स्कूल खुलने का इंतजार करते नजर आए। कुछ बच्चों के अभिभावक भी उनके साथ खड़े दिखे, जो व्यवस्था को लेकर नाराजगी जताते रहे। मौके से सामने आई तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है कि छोटे-छोटे बच्चे गर्म कपड़ों में लिपटे हुए स्कूल के बाहर खड़े हैं, जबकि अंदर कोई शिक्षक मौजूद नहीं है। यह नजारा सरकारी दावों और जमीनी हकीकत के बीच का फर्क साफ तौर पर बयां कर रहा है। डीएम ने लिया संज्ञान, कार्रवाई का आश्वासन मामला सामने आने के बाद जिलाधिकारी अरविंद कुमार ने इस पर संज्ञान लिया है। उन्होंने कहा कि पूरे प्रकरण की जांच कराई जा रही है। जांच में यदि किसी भी शिक्षक या स्कूल प्रशासन की लापरवाही सामने आती है तो दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल सवाल यही है कि जब बच्चे ठंड और कोहरे की परवाह किए बिना समय पर स्कूल पहुंच सकते हैं, तो शिक्षक आदेश के बावजूद स्कूल क्यों नहीं पहुंचे। अब सभी की निगाहें जिला प्रशासन की कार्रवाई पर टिकी हैं।
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