झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में बच्चा बदलने का मामला सामने आया है। पिता का आरोप है- उनकी पत्नी की वार्ड में बाथरूम में अंदर डिलेवरी हो गई। पत्नी ने बेटा को जन्म दिया। पहले नर्स बेटा बताती रही, मगर बाद में बेटी बताने लगी। मेरे नवजात बेटे को जिस महिला को दिया गया, वो लेकर चली गई। इन आरोपों के बाद कॉलेज प्रशासन में हड़कंप मच गया। हंगामा होने पर सीएमएस मौके पर पहुंच गए। काफी समझाने के बाद भी परिवार नहीं माना। डीएनए जांच कराने के आश्वासन पर मामला शांत हुआ। तब मां और नवजात बच्ची का सैंपल लिया गया है। जो जांच के लिए भेजा जाएगा। हालांकि, सीएमएस डॉ. सचिन माहुर का कहना है कि परिवार के सारे आरोप झूठे हैं। न तो बाथरूम में डिलेवरी हुई और न ही बच्चा बदला गया। महिला ने बेटी को ही जन्म दिया है। अब पूरा मामला विस्तार से पढ़िए 5 दिसंबर को भर्ती हुई थी महिला मोठ के आजाद नगर मोहल्ला निवासी रोहित रायकवार ने बताया- मेरी पत्नी रीता (24) गर्भवती थी। प्रसव पीड़ा होने पर उसे 5 दिसंबर को मेडिकल कॉलेज के प्रसूता वार्ड में भर्ती करवाया था। 6 दिसंबर की रात लगभग 11:15 बजे वो बाथरूम गई थी। आरोप है कि बाथरूम के अंदर डिलेवरी हो गई। सीट में बच्चे का सिर फस गया। तब पत्नी ने ही उसे निकाला। तब तक नर्स आ गई। मुझे चाय लेने के लिए भेजने लगे। तब मैंने कहा कि पहले बच्चा दिखाओ। तब बोले कि लड़का हुआ है। मुझे तसल्ली हुई और मैं चाय लेने चला गया। फिर बच्चे को ऑक्सीजन में रखकर वार्ड में ले गए। कहते रहे कि लड़का है। वार्ड से आते वक्त बोले कि लड़की हुई है। मेरी पत्नी ने लड़के को जन्म दिया, अब ये बेटी बता रहे हैं। बच्चे को बदल दिया। मेरा बेटा किसी महिला को दे दिया और वो बेटे को लेकर चली गई। अब कह रहे हैं कि लड़की मिलेगी। नहीं तो मुझे जेल जाना पड़ेगा। धमकियां दी जा रही है। मैंने थाने और एसडीएम को शिकायत दी है। अब हमें लड़का चाहिए। बाथरूम की सीट में फंस गया था बच्चा प्रसूता की बुआ पुष्पा ने बताया- बहू की डिलेवरी होनी थी। वो मेडिकल कॉलेज के प्रसूता वार्ड में भर्ती थी। 6 दिसंबर की रात लगभग 11:15 बजे बहू बोली कि बाथरूम जाना है। मैंने कहा कि मैं साथ चल रही हूं, तो बोली बुआ आप परेशान मत हो, मैं चली जाऊंगी। वो अकेली चली गई और बाथरूम में ही बच्चा हो गया। बच्चा सीट में फंस गया तो बहू ने निकाल लिया। बहू चिल्लाई तो लोग चिल्लाने लगे कि बाथरूम में डिलेवरी हो गई। तब मैं भागकर गई। मैं देख नहीं पाई कि लड़का था या लड़की। लव मैरिज की थी, 3 बच्चे पहले रोहित रायकवार ने बताया- मैंने रीता से लव मैरिज की थी। हम दोनों एक दूसरे से प्यार करते थे। हमारे दो बेटे और एक बेटी पहले से हैं। इसमें 9 साल का आदित्य, 8 साल की अरोही और ढाई साल का बाबू हैं। अब पत्नी की चौथी डिलेवरी थी। हमारे महराज ने भी कहा था कि लड़का होगा। 6 डिलेवरी हुई, सबको बेटी हुई, सारे आरोप झूठे हैं सीएमएस डॉ. सचिन माहुर ने बताया- रीता को बेटी पैदा हुई है। उनका लड़का बदलकर लड़की देने का आरोप झूठा है। क्योंकि, 6-7 दिसंबर की रात को 6 डिलेवरी हुई। सभी को लड़की पैदा हुई। कोई लड़का पैदा नहीं हुआ। रीता का बच्चा प्री-म्यचोर था। इसलिए एनआईसीयू में रखा गया है। जहां उसका इलाज चल रहा है। परिवार पहले से ही मानसिकता में था कि उनका लड़का होगा। उनको किसी महाराज ने आर्शिवाद दिया था। इसके अलावा महिला ने कहीं अल्ट्रासाउड कराया होगा तो डॉक्टर ने भी लड़का बता दिया। इसी भ्रम की वजह से वो लड़का बता रहे हैं। बाथरूम में डिलेवरी का आरोप भी झूठा है। लेबर रूम के अंदर डॉक्टरों ने रीता की डिलेवरी कराई है। परिवार की संतुष्टि के लिए डीएनए जांच कराई जा रही है। मां और नवजात बच्ची का सैंपल ले लिया है। जो जांच के लिए भेज दिया है। जांच रिपोर्ट से पता चल जाएगा कि बच्चा महिला का है।
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