झांसी में बुंदेलखंड का पहला नेत्र बैंक खुलेगा। इसकी स्थापना महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में होना लगभग तय है। यहां उपलब्ध संसाधनों का जायजा लेने आई शासन की दो सदस्यीय टीम ने हरी झंडी दे दी है। अब टीम रिपोर्ट बनाकर शासन को भेजगी। स्वीकृति मिलते ही नेत्र बैंक शुरू हो जाएगा। इससे पहले 1988 में मेडिकल कॉलेज में नेत्र बैंक खोला गया था। मगर 6 साल बाद ही इसे बंद कर दिया गया था। अब 2012 से दोबारा शुरू करने की कवायद चल रही है। जल्द ही नेत्र बैंक शुरू होने की उम्मीद है। टीम के डॉक्टर का कहना है कि यहां 90 प्रतिशत संसाधन ऐसे हैं, जो इस बात को स्वीकार करते हैं कि नेत्र बैंक स्थापित हो सकता है। शेष व्यवस्थाओं के लिए शासन से डिमांड की जाएगी। दो सदस्यीय टीम ने किया दौरा शासन ने नेत्र बैंक में होने वाले ऑपरेशन (मानव अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण नियम-2014) के लिए मेडिकल कॉलेज को पंजीकरण प्रमाण-पत्र जारी करने के प्रयास शुरू कर दिए। इसके लिए दो वरिष्ठ चिकित्सकों की टीम गठित की गई थी। यह टीम 9 दिसंबर को मेडिकल कॉलेज पहुंची। टीम में राजकीय मेडिकल कॉलेज, जालौन के नेत्र चिकित्सक डॉ. राजनाथ सिंह कुशवाहा और स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय, एटा के नेत्र विभाग की सहायक आचार्य डॉ. अंजू सिंह शामिल थीं। टीम ने यहां की व्यवस्थाओं और सुविधाओं का निरीक्षण किया और नेत्र बैंक की स्थापना को लेकर अपनी ओर से हरी झंडी दे दी। टीम के सदस्यों ने स्थानीय अधिकरियों के साथ नेत्र विभाग की ओपीडी, ओटी, पुराना नेत्र बैंक, 500 बेड के नए अस्पताल में दूसरे फ्लोर पर बनने जा रहे नेत्र विभाग के विभिन्न पटल का निरीक्षण किया। व्यवस्थाओं के अभाव में बंद हुआ था पुराना नेत्र बैंक महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में 6 अप्रैल 1988 को पहले नेत्र बैंक की स्थापना तत्कालीन केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री लोकपति त्रिपाठी ने अन्धता निवारण संघ के अध्यक्ष भानू सहाय के प्रयासों के बाद की थी। भानू सहाय बताते हैं कि इस नेत्र बैंक के स्थापित होने पर झांसी समेत विभिन्न क्षेत्रों के 6 हजार से अधिक लोगों ने नेत्रदान के लिए फॉर्म भरे थे। इस नेत्र बैंक को मरणोपरान्त एक दर्जन से अधिक लोगों के नेत्र मिले थे, लेकिन महज आधा दर्जन नेत्रहीनों को ही यह प्रत्यारोपित किया जा सका। इसका एक शिलापट भी मेडिकल कॉलेज में लगा है। व्यवस्थाओं के अभाव में 1994 में यह नेत्र बैंक बंद हो गया। शासन से डिमांड की जाएगी टीम के नेत्र विशेषज्ञ डॉ. राजनाथ सिंह कुशवाहा ने बताया कि यहां मौजूद मेन पावर, माइक्रोस्कोप आदि अन्य व्यवस्थाएं लगभग 90 प्रतिशत तक पूरी हैं। इनके तहत नेत्र बैंक स्थापित किया जा सकता है। शेष 10 प्रतिशत व्यवस्थाओं के लिए शासन से डिमाण्ड की जाएगी। निरीक्षण की रिपोर्ट शासन को भेज दी जाएगी। इसके बाद जल्द से जल्द नेत्र बैंक को स्वीकृति मिल जाएगी।’ वहीं डॉ. अंजू सिंह ने कहा- मेडिकल कॉलेज में अन्य व्यवस्थाओं के साथ ही कॉर्निया स्पेशिलिस्ट चिकित्सक मौजूद हैं। इसके अलावा यहां चिकित्सीय उपकरण भी पर्याप्त हैं। इनका निरीक्षण अच्छा रहा। रिपोर्ट समिट कर दी जाएगी। जल्द ही बुन्देलखण्ड का पहला नेत्र बैंक मेडिकल कॉलेज में खुलने की सम्भावना है।
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