झांसी में मौजूद वक्फ यानी समाज सेवा के लिए दान दी गईं 535 संपत्तियां उम्मीद पोर्टल अपलोड हो चुकी हैं। अल्पसंख्यक समाज कल्याण विभाग और समाजसेवक मुफ़्ती इमरान नदवी के प्रयासों के बाद समयसीमा में यह काम हो गया। हालांकि, कुछ संपत्तियां तकनीकी कारण से अपलोड नहीं हो सकीं, लेकिन उनकी संख्या काफी कम है। मुफ़्ती इमरान नदवी ने बताया कि पूरे जिले में लोगों को जागरूक करने के बाद वह आगे आए। बता दें कि झांसी में जीवनशाह, ताज कंपाउंड, नगरा ईदगाह जैसे बड़े कब्रिस्तान हैं। वहीं, 200 से ज़्यादा मस्जिद हैं। इसके आलवा बड़ी संख्या में पीर-औलिया के मजार भी मौजूद हैं। कई दशक से इन संपत्तियों की देखभाल मुतवल्ली कर रहे थे या फिर ऐसे ही वीरान पड़ी थीं। कई दशक पुराने कागज होने के चलते स्थिति यहां तक पहुंच गईं कि संपत्ति का लेखाजोखा संभालना भी मुश्किल हो जाता। इसी की व्यवस्थित करने के लिए केंद्र सरकार ने उम्मीद पोर्टल लॉन्च किया है। जिस पर पूरे देश में मौजूद वक्फ संपत्तियों का डिजिटल रिकॉर्ड दर्ज किया जा रहा है। झांसी में भी कई दशक पुरानी 550 से ज़्यादा वक्फ संपत्तियां हैं। जैसे ही सरकार का आदेश जारी हुआ तो झांसी में समाज कल्याण विभाग के डिप्टी कमिश्नर तारिक अली ने सभी वक्फ संपत्ति की देखरेख कर रहे जिम्मेदारों को बुलाया और उन्हें किस प्रकार संपत्ति अपलोड करनी है इसके बारे में जानकारी दी। वहीं, दूसरी तरफ समाजसेवा करने वाले मुफ़्ती इमरान नदवी और उनकी टीम ने भी इस काम को पूरा करने में बड़ी भूमिका निभाई। इसी का परिणाम रहा कि समय खत्म होने से पहले झांसी में 535 वक्फ संपत्तियां उम्मीद पोर्टल पर अपलोड हो गईं। इसको लेकर मुफ़्ती इमरान नदवी ने बताया कि जिले की लगभग सभी संपत्तियां अपलोड की जा चुकी हैं। एक-दो ही नंबर हैं, जिन्हें तकनीकी कारणों से अपलोड नहीं किया जा सका है। हालांकि, अभी भी डेटा के हिसाब से 50 संपत्तियां दर्ज होना है। कई नंबर पर चढ़ी है एक ही संपत्ति मुफ़्ती इमरान नदवी ने पूरे जिले में जाकर वक्फ संपत्तियां पोर्टल पर दर्ज कराई हैं। उन्होंने दैनिक भास्कर से बात करते हुए बताया कि 535 नंबर उम्मीद पोर्टल पर दर्ज किए जा चुके हैं। वहीं, 50 नंबर को लेकर उन्होंने बताया कि दरअसल, लखनऊ स्थित वक्फ बोर्ड कार्यालय में एक ही संपत्ति अलग-अलग नंबरों पर दर्ज है। ऐसे में इसकी संख्या ज़्यादा दिखने लगी। हालांकि, जो संपत्ति नहीं चढ़ पाई हैं, उनकी संख्या 2-4 ही होगी। दावेदारों में लगी रही होड़ वक्फ की संपत्तियों के मालिक (संरक्षक) बनने के लिए भी खूब रस्साकशी चली है। एक ही संपत्ति को कई-कई लोगों ने दर्ज कराया। हालांकि, उससे उन्हें कोई लाभ नहीं मिलने वाला। मुफ़्ती इमरान ने बताया कि कई लोग वक्फ संपत्तियों पर काबिज होने के लिए ऐसा कर रहे हैं लेकिन, इससे प्रक्रिया पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला।
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