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जौनपुर में शीतलहर जारी, जनजीवन प्रभावित:बादल छाए, तापमान में गिरावट से बढ़ी गलन, फसलों पर पाले का खतरा

जौनपुर में शीतलहर का प्रकोप जारी है, जिससे जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। लगातार गिरते पारे और सर्द हवाओं के कारण गलन बढ़ गई है। शनिवार को दिन में हल्की धूप के बाद रात में घना कोहरा छाया रहा, हालांकि तेज हवाओं के कारण यह कुछ कम हुआ। रविवार सुबह कोहरा नहीं था, लेकिन आसमान में बादल छाए रहे, जिससे ठंड और बढ़ गई और लोग घरों में ही दुबके रहे। कड़ाके की ठंड से बचाव के लिए लोगों ने अलाव का सहारा लिया। बाजारों में कारोबार मंदा रहा और सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहा। कई स्थानों पर लोग दुकानों के आगे अलाव जलाकर हाथ सेंकते देखे गए, जो ठंड से बचने का एक सामान्य तरीका बन गया है। मौसम विभाग के अनुसार, शनिवार को अधिकतम तापमान 20 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 9 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। इस दौरान आर्द्रता 82 प्रतिशत रही और वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 157 अंक पर पहुंच गया था। हवा 8 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही थी। वहीं, रविवार को अधिकतम तापमान 20 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 9 डिग्री सेल्सियस रहा। हवा की रफ्तार 6 किलोमीटर प्रति घंटा दर्ज की गई, जबकि आर्द्रता 79 प्रतिशत थी। वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) बढ़कर 220 अंक पर पहुंच गया, जो हवा की गुणवत्ता में गिरावट दर्शाता है। न्यूनतम तापमान में लगातार गिरावट और घने कोहरे के कारण फसलों में पाला लगने की आशंका बढ़ गई है। राई, सरसों, अरहर, आलू, मिर्च, टमाटर और मटर जैसी रबी की फसलें पाले से गंभीर रूप से प्रभावित हो सकती हैं। कृषि विशेषज्ञों ने अनुमान लगाया है कि आलू की फसल को 40 से 80 प्रतिशत तक क्षति हो सकती है।
घना कोहरा बने रहने से अरहर की फसल को पर्याप्त धूप नहीं मिल पाती, जिससे उसके फूल झड़ जाते हैं। पाले के कारण फसलों के फूल और पत्तियां झुलसकर सिकुड़ने लगती हैं, और कलियां झड़ने लगती हैं। इसके परिणामस्वरूप फलियों और फलों में बीज के दाने या तो सिकुड़ जाते हैं या बनते ही नहीं हैं, जिससे अंततः फलियां और फल झड़ जाते हैं, जिससे किसानों को भारी नुकसान होता है। कृषि विशेषज्ञों ने किसानों को पाले से बचाव के लिए कई उपाय सुझाए हैं। आलू की फसल में मैकोजेब और कारबेंडाजिम का दो ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करने की सलाह दी गई है। इसके अतिरिक्त, घुलनशील सल्फर की एक किलोग्राम मात्रा को 500 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करने से भी पाले के प्रभाव को कम किया जा सकता है।


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