जौनपुर में शीतलहर का प्रकोप लगातार सातवें दिन जारी है। गिरते पारे और सर्द हवाओं के कारण जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। गुरुवार को सूर्य के दर्शन नहीं हुए, जिससे लोग घरों में रहने को मजबूर रहे। घने कोहरे के कारण सड़कों पर वाहनों को लाइट जलाकर चलना पड़ा, और विजिबिलिटी 50 मीटर तक दर्ज की गई। कड़ाके की ठंड से बचाव के लिए लोगों को अलाव का सहारा लेना पड़ा। बाजारों में कारोबार मंदा रहा और सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहा। कई जगहों पर लोग दुकानों के आगे अलाव जलाकर हाथ सेंकते देखे गए। मौसम विभाग के अनुसार, बुधवार को अधिकतम तापमान 22 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था। आर्द्रता 78 प्रतिशत रही, जबकि वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 161 अंक पर पहुंच गया था। हवा 3 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही थी। वहीं, गुरुवार को अधिकतम तापमान 22 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 9 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। आर्द्रता 72 प्रतिशत रही और वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 138 अंक पर रहा। हवा की रफ्तार 5 किलोमीटर प्रति घंटे दर्ज की गई। न्यूनतम तापमान में लगातार गिरावट और घने कोहरे के कारण फसलों में पाला लगने की आशंका बढ़ गई है। राई, सरसों, अरहर, आलू, मिर्च, टमाटर और मटर जैसी फसलें पाले से प्रभावित हो सकती हैं। विशेष रूप से, आलू की फसल को 40 से 80 प्रतिशत तक क्षति होने का अनुमान है। घना कोहरा बने रहने से अरहर की फसल को पर्याप्त धूप नहीं मिल पाती, जिससे उसके फूल झड़ जाते हैं। पाले के कारण अन्य फसलों के फूल और पत्तियां झुलसकर सिकुड़ने लगती हैं, कलियां झड़ने लगती हैं और फलियों तथा फलों में बीज के दाने सिकुड़ जाते हैं या बनते ही नहीं हैं, जिससे अंततः फलियां और फल झड़ जाते हैं। कृषि विशेषज्ञों ने किसानों को पाले से बचाव के उपाय सुझाए हैं। आलू की फसल में मैकोजेब और कारबेंडाजिम का दो ग्राम प्रति लीटर की दर से छिड़काव करने की सलाह दी गई है। इसके अतिरिक्त, घुलनशील सल्फर की एक किलोग्राम मात्रा को 500 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करने को कहा गया है।
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